सम्पादकीय
अप्रैल-२०१९

आगामी ५ साल के दिन अच्छे हों
१७ वीं लोकसभा चुनाव में कई-कई मन लुभावने वायदे सुनने को मिल रहे हैं, हर पार्टी का मुखिया भारत का प्रधान मंत्री बनना
चाहता है, हम जनता ने आजादी के बाद १६ लोकसभा चुनाव देखे हैं, अच्छे दिनों का वायदा तो सभी करते हैं पर चुनाव जीतने के बाद तो इनसे सम्पर्क करना ही दुर्लभ हो जाता है, ये किसी एक नेता पर लागू नहीं होता, भारत के सभी नेताओं पर लागू होता है, चुनाव के समय ये नेता इतने भोले व लाचार बन जाते हैं कि इनके जैसा सीधा धरती पर दूसरा कोई भी नहीं होगा, पर ऐसा सही नहीं है, हम जनता के भोलेपन का लाभ उठाना ये भलिभाँति समझते हैं।
मैं यह भी जानता हूँ कि जनता सब कुछ समझती भी है पर किया क्या जाये, हमारे पास दूसरा कोई उपाय भी तो नहीं है, वोट का प्रयोग तो हमें करना ही है और हम जरूर करेगें क्योंकि चुनाव आयोग भी ‘वोट’ देने के लिए करोड़ों का खर्च कर इस बार विज्ञापन कर रहा है, क्या करें उन्हें भी तो संविधान के अनुसार ही कार्य करना होता है फिर ६० प्रतिशत से ज्यादा लोग अपने मतों का उपयोग नहीं कर रहे हैं।
आप सब सोच रहे होंगे कि आज मुझे क्या हो गया है, इतना ही कहूँगा कि क्या किया जाये, क्या लिखा जाये, लिखते-लिखते तो कलम की स्याही खत्म हो जायेगी पर होगा कुछ भी नहीं, होना तो वही है जो हमारे नेता चाहेंगे तो हमें क्या करना है बस सोचना है कि सभी अच्छे हैं उनमें से ज्यादा अच्छा कौन, उसे अपना ‘मत’ देना है…
जय भारत!
जय भारतीय संस्कृति!
राष्ट्र की परिभाषा
भाव-भूमि-भाषा
मार्च-२०१९
बड़ीसादड़ी:
लोकसभा चुनाव के बाद प्रदेश में ग्राम सेवा सहकारी समिति का पुनर्गठन किया जाएगा और हर वर्ष में चुनाव भी करवाए जाएंगे। ग्राम सेवा सहकारी समितियों का पूर्ण गठन होगा,
परशुराम त्रेता युग (रामायण काल) के एक ब्राह्मण हैं, उन्हें विष्णु का छठा अवतार भी कहा जाता है, पौराणिक वृत्तान्तों के अनुसार उनका जन्म भृगुश्रेष्ठ महर्षि जमदग्नि द्वारा सम्पन्न पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न देवराज इन्द्र के वरदान स्वरूप पत्नी रेणुका के गर्भ से वैशाख शुक्ल तृतीया को हुआ था, वे भगवान विष्णु के छठे अवतार थे। पितामह भृगु द्वारा सम्पन्न नामकरण संस्कार के अनन्तर राम, जमदग्नि का पुत्र होने के कारण जामदग्न्य और शिवजी द्वारा प्रदत्त परशु धारण किये रहने के कारण वे परशुराम कहलाये।
भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम की जयंती अक्षय तृतीया के दिन मनाई जाती है, ये वही परशुराम हैं जिन्होंने क्रोध में आकर भगवान गणेश का एक दांत तोड़ दिया था, इसके अलावा भी कई ऐसी घटनाएं हैं जिनमें परशुराम के क्रोध की कहानियां मिलती हैं,
भारतीय शासक और मराठा साम्राज्य के संस्थापक शिवाजी महाराज एक बहादुर, बुद्धिमान और निडर शासक थे। धार्मिक अभ्यासों में उनकी काफी रूचि थी। रामायण और महाभारत का अभ्यास वे बड़े ध्यान से करते थे।
पूरा नाम – शिवाजी शहाजी भोसले
जन्म – १९ फरवरी, १६३०/अप्रिल १६२७
जन्मस्थान – शिवनेरी दुर्ग (पुणे)