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माहेश्वरी समाज की कुल माताएं
१.सेवल्या माता- माता जी का स्थान राजस्थान के भीलवाड़ा जिले की मांडल तहसील के ग्राम बागौर में है। संवल्या माताजी का मंदिर अति प्राचीन है जो ब्राम्हणी माता के नाम से भी प्रसिद्ध है... ...
माहेश्वरी समाज वंशोत्पत्ति
माहेश्वरी समाज! समय के साथ कदम से कदम मिलाने में विश्वास रखता है, इस समाज के सदस्य परिवर्तनशीलता के पक्षधर हैं, इस दृष्टि से सब नित-नवीन हैं। महाकवि कालिदास ने नवीनता की व्याख्या करते... ...
झारखंड – बिहार प्रदेश माहेश्वरी सभा द्वारासफलतापूर्वक ‘साड़ी वाकेथान’ का आयोजन
मुजफ्फरपुर: माहेश्वरी सभा महिला संगठन व युवा संगठन की द्वितीय कार्य समिति एवं कार्यकारी मंडल बैठक दिनांक ८ व ९ जून २०२४ को स्थानीय होटल अतिथि रामदयालु मुजफ्फरपुर में संपन्न हुई। सर्वप्रथम भगवान महेश... ...
ठाणे में अग्रवाल चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारानारायण रेकी सत्संग सम्पन्न
अग्रवाल चैरिटेबल ट्रस्ट, ठाणे (R) के द्वारा २८ जून को राज दीदी (श्री राजेश्वरी मोदी) के मुखारविंद से अमृतवाणी (सदा खुश रहने का मंत्र) काशीनाथघाणेकर नाट्यग्रह में संपन्न हुआ, जिसमें करीब १२०० भक्तों ने... ...
नार्थ लखीमपुर का इतिहास
असम राज्य का एक प्रशासनिक जिला ‘लखीमपुर’ असम के पूर्वोत्तर कोने पर स्थित है। जिला मुख्यालय उत्तरी लखीमपुर में स्थित है। जिले के उत्तर में अरुणाचल प्रदेश का सियांग और पापुमपारे जिला है, पूर्व... ...
सुर्यवंशी अग्रकुल प्रर्वतक महाराजा अग्रसेन
वर्तमान में जहाँ राजस्थान व हरियाणा राज्य हैं किसी समय इन राज्यों के बीच सरस्वती नदी बहती थी, इसी सरस्वती नदी के किनारे प्रतापनगर नामक एक राज्य था। भारतेन्दु हरिशचन्द्र के अनुसार-मांकिल ऋषि जिन्होंने... ...
‘एक ईंट-एक रुपये’ की भावना
महाराज अग्रसेन अपने युग की एक महान विभूति थे, वे एक कुशल राजनीतिज्ञ थे, पराक्रमी योद्धा थे और प्रजा के हितकारी सह्रदय राजा थे। अपनी प्रजा एवं राज्य की सुरक्षा के लिये उन्होंने सुरक्षित... ...
अपने व्यापार या शुभ कर्मों की शुरूआत करते हुए कहें
गणपती बापा मोरया
गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है, यह त्योहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है, किन्तु महाराष्ट्र में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन गणेश जी... ...
श्री दिगम्बर जैन मन्दिर जोरहाट
‘जोरहाट’ के मारवाड़ी समाज की सर्वाधिक महत्वपूर्ण धरोहर श्री मारवाड़ी ठाकुरबाड़ी परिसर में दिगम्बर जैन समाज के लगभग ६००० वर्गफुट के भूखंड में से लगभग १२०० क्षेत्रफल के भूखंड पर सन १९५७ में ही... ...
अहोम की राजधानी जोरहाट
‘जोरहाट’ अहोमों की आखिरी राजधानी थी, जो कम से कम ३७ वर्षों तक चली, यह शहर दिचोई नदी के पास बसाया गया था, दिचोई के पास कई बाजार स्थापित किए गए थे, जैसे फुकनार... ...