गौमाता को ‘राष्ट्रमाता’ का सम्मान भारत में मिलना ही चाहिए
हम भारतीयों के दिलों में सबसे ज्यादा प्यार-सम्मान-श्रद्धा आदि आदि माँ के प्रति होता है, इसका मुख्य कारण
क्या है? विदित हो कि माँ हमें जन्म देती है, प्यार देती है, रोते हुए को अपने दूध से चुप कराती है, पालती है, पोषती है,
हमारे जीवन को संवारती है, उसी प्रकार गाय को भी हम माँ कहते हैं, क्योंकि गाय के शरीर के अंग-अंग से हम
इंसान ही क्या प्रकृति भी संवरती है, यह सब हमको पता भी है, तभी तो हम गाय को ‘माँ’ कहते हैं। ‘गौमाता’ जिसे हम भारतीय चाहते हैं कि ‘राष्ट्रमाता’ का सम्मान मिले, इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय संस्थान ‘मैं भारत हूं’ फाउंडेशन’ दृढप्रतिज्ञ भी हैं, कटिबद्ध भी हैं, साथ ही भारत में रहने वाले हर भारतीयों की इच्छा भी है कि ‘गौमाता’ को ‘राष्ट्रमाता’ का सम्मान प्राप्त हो।
‘मैं भारत हूं फाउंडेशन’ परिवार ने ‘गौमाता’ को ‘राष्ट्रमाता’ का सम्मान मिले, इसके लिए भारत के २९ राज्यों को पत्र भी लिखा है और छ राज्य यानी राजस्थान, गोवा, सिक्किम, दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश से जवाब भी प्राप्त हो गया है कि हम आपसे प्राप्त निवेदन संबंधित विभाग को कार्यवाही के लिए भेज रहे हैं, रही बात २३ राज्यों की, तो संपादकीय लिखते समय भी मुख्यमंत्री के कार्यालयों से संपर्क जारी है। भारत के सभी राज्यों में स्थापित गौसेवा आयोग के अध्यक्षों से संपर्क किया जा रहा है, सभी राज्यों के गौसेवा आयोग से गैजेट मंगवाए जा रहे हैं। बतादें कि प्राय:कर हर राज्य सरकार द्वारा गायों को पोषण करने वाले गौशालाओं को सुविधाएं भी दी जा रही हैं, बहुत ही जल्द सब कुछ एकत्रित कर भारत सरकार को निवेदन प्रेषित किया जाएगा, क्योंकि भारत सरकार भी गाय को पोषित करने के लिए कटिबद्ध है, कर भी रही है जो भी संवैधानिक रूप से संभव है। भारत के चारों शंकराचार्य जी से संपर्क कर मार्गदर्शन करने के लिए और गौमाता ‘राष्ट्रमाता’ बनें, राष्ट्रीय अभियान की सफलता के लिए संबंध बनाए हुए हैं और मार्गदर्शन भी प्राप्त हो रहा है। भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई के गोरेगांव में स्थापित भव्य विष्णु पार्क में ७ व ८ मार्च २०२६ को भव्यातिभव्य ‘गौकथा’ का आयोजन का मानस है, जिसमें भारत के कोने-कोने से साधु-संतों के प्रवचनों के साथ, कई-कई गौ सेवकों व राजनीतिक दलों के नेताओं की उपस्थिति भी रहेगी, साथ ही लगभग २० से २५००० के जनमानस की उपस्थिति की भी संभावना है। वर्ष २०२५ बीतने वाला है। ‘मैं भारत हूं फाउंडेशन’ द्वारा आह्वानित अभियान ‘भारत को केवल ‘भारत’ ही बोला जाए’ India नहीं, अभियान को भारत सरकार ने अपनी तरफ से समर्थन तो दे दिया है यह लिखकर, Government Of Bharat जबकि पूर्व में लिखा जाता था Government Of India, इसके
लिए ‘मैं भारत हूं फाउंडेशन’ भारत सरकार को धन्यवाद भी प्रस्तुत करती है, साथ ही निवेदन भी करती है कि जल्द
ही संवैधानिक प्रस्ताव पारित करे, ताकि विश्व के मानचित्र में अपने देश का नाम India की जगह Bharat लिखा जा सके, साथ ही वर्ष २०२६ में भारत सरकार द्वारा भारत में गौमाता को ‘राष्ट्रमाता’ का सम्मान देगी, यह हम भारतीयों को विश्वास है। ‘मैं भारत हूं’ पत्रिका का प्रस्तुत शृंखलाबद्ध विशेषांक ‘भारत’ का ही ऐतिहासिक स्थल महाराष्ट्र में स्थापित औरंगाबाद वर्तमान का ‘छत्रपति शिवाजी नगर’ का प्रस्तुत इतिहास कैसा लगा, मार्गदर्शन की अपेक्षा है, ‘मैं भारत हूँ’ पत्रिका के प्रबुद्ध पाठकों से…. जय भारत!
