श्री दिगम्बर जैन मन्दिर जोरहाट
by Bijay Jain · Published · Updated
‘जोरहाट’ के मारवाड़ी समाज की सर्वाधिक महत्वपूर्ण धरोहर श्री मारवाड़ी ठाकुरबाड़ी परिसर में दिगम्बर जैन समाज के लगभग ६००० वर्गफुट के भूखंड में से लगभग १२०० क्षेत्रफल के भूखंड पर सन १९५७ में ही स्थापित श्री दिगम्बर जैन मंदिरजी के भवन को अपरिहार्य कारणों से सन २०१५ में नविनीकरण कार्य शुरू किया गया। तीन मंजिला भव्य एवं नयनाभिराम मंदिर बनकर दर्शनीय बन गया है। मन्दिरजी के भू-तल्ले पर जयपुर के कारीगरों द्वारा खूबसूरत वेदी का निर्माण करवाया गया है सोने की कारीगरी देखते ही बनती है। मूलनायक तीर्थंकर आदिनाथ की सफेद संगमरमर की खूबसूरत प्रतिमा के साथ उनके दोनों और तीर्थंकर पार्श्वनाथ की काले संगमरमर की प्रतिमाएं विराजमान की गयी हैं। पूर्ण रूप से वातानुकूलित मन्दिरजी के निर्माण में सफेद मार्बल का उपयोग किया गया है। बाहरी तरफ राजस्थान के लाल पत्थरों से बारिक कारिगरी की गयी है। मंदिरजी के प्रथम तल्ले पर तीर्थंकर शान्तिनाथ की मूल प्रतिमा के साथ महावीर स्वामी एवं मुनि सुब्रतनाथ की प्रतिमा भी विराजमान की गयी है। खूबसूरत वेदी पर भी स्वर्ण की कारीगरी की गई है। मन्दिरजी के दूसरे तल्ले पर पूर्वांचल के प्रथण सहस्त्रकूट की स्थापना की गयी है। खूबसूरत सफेद मार्बल पर बने इस सहस्त्रकूट पर जयपुर से मंगाई गई, १००८ प्रतिमाओं की स्थापना की गयी है। सहस्त्रकूट की स्थापना का भाव सुरेश चांदूवाड़ के मन में आया, मंदिरजी में प्राण प्रतिष्ठा के लिये पंचकल्याक प्रतिष्ठा महोत्सव के आयोजन के लिए श्री १००८ भगवान आदिनाथ जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव समिति, जोरहाट का गठन किया गया, यह महोत्सव २० से २४ मई, २०१९ को आयोजित किया गया था।
विदित हो कि दिनांक ४-५-२०१५ को नए निर्माण कार्य के लिए नींव श्री गजेन्द्र कुमार बाकलीवाल द्वारा रखी गई, इस दौरान पंचायत के अध्यक्ष गजेन्द्र कुमार बाकलीवाल एवम्ा् सचिव सुरेश चांदुवाड़ जयपुर गए और वेदी का निर्माण करवाया, इस कार्य में जोरहाट के पूरे दिगम्बर जैन समाज का तन-मन-धन से सहयोग रहा।
बता दें कि श्री दिगम्बर जैन मंदिर के प्रांगण में आचार्य श्री विद्यासागर जी का संग्रहालय बना हुआ है जो की दर्शनीय बना है, जिसके आर्थिक सहयोगी रहे हैं राजस्थान में स्थित मदनगंज-किशनगढ़ निवासी श्रीमती सुशीला अशोक पाटनी परिवार।
एक विशेष जानकारी यह भी मिली है कि मंदिर जी के प्रांगण में ही हर रविवार को स्थानीय दिगम्बर महिला सभा के कार्यकर्ताओं द्वारा जैन पाठशाला लगाई जाती है ताकि स्थानीय बच्चे जैन संस्कृति से सराबोर रहें।
‘जोरहाट’ में स्थापित श्री मारवाड़ी ठाकुरबाड़ी अपने आप में एक अनोखा उदाहरण है, जो अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलता, क्योंकि इस खूबसूरत कॉम्प्लैक्स में श्री दिगम्बर जैन मन्दिर के अलावा श्वेताम्बर पंथ का जैन भवन, लक्ष्मी नारायण मन्दिर, भैरव मन्दिर एवं करणी माता मन्दिर, शीतला माता मन्दिर आदि के अलावा मारवाडी समाज के सभी मन्दिर स्थापित हैं। माहेश्वरी भवन, अग्रवाल भवन एवं स्वयंसेवी संस्थान नवयुवक मंडल भी इसी परिसर में स्थित है, जोरहाट की एक अग्रणी संस्था ज्ञान मण्डल द्वारा भी इस परिसर में एक पुस्तकालय एवं वाचनालय का संचालन किया जाता है।
श्री दिगम्बर जैन मन्दिर बनाने में न सिर्फ जैन धर्मावलम्बियों का बल्कि संपूर्ण मारवाड़ी समाज का बराबर सहयोग रहा है, मन्दिरजी के निर्माण में स्वर्गीय घनश्यामदासजी बाकलीवाल, स्वर्गीय कपूरचन्दजी छाबड़ा, स्वर्गीय मिश्रीलालजी पाटनी, स्वर्गीय पूसराजजी पाटनी, स्वर्गीय कंवरीलालजी बाकलीवाल, स्वर्गीय किस्तुरमलजी झांझरी, स्वर्गीय मोहनलालजी मालपानी किशोरीलालजी बाहेती, स्वर्गीय रामचन्द्रजी मालपानी, स्वर्गीय कन्हैयालालजी बाकलीवाल, स्वर्गीय सेठीजी, स्वर्गीय सम्पतलालजी पाटनी, स्वर्गीय गट्टाणीजी, स्वर्गीय बनारसीलालजी मोर आदि वरिष्ठ सदस्यों का अथक प्रयास एवं परिश्रम रहा है।
‘जोरहाट’ के लिए गौरव की बात है कि आर्यिका संघ का दो बार यहां अभिनंदन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। प्रथम बार पूर्वांचल में पद बिहार करते हुए दिनाक ७ मार्च १९६३ के दिन परमपूज्य माताजी के नेतृत्व में आर्यिका संघ यहां आया और इसके १२ वर्ष पश्चात (इन्दुमती माताजी के समाधि मरण के पश्चात) जून १९८८ को संघ चरित्र शिरोमणि विदूषी आर्यिका १०५ सुपार्श्वमती माताजी के नेतृत्व में आया। धर्मचक्र का ‘जोरहाट’ में आगमन भी मार्च १९७६ में हुआ। तीर्थंकर महावीर का २५००वां निर्वाण महोत्सव भी यहां बड़े धूमधाम से ‘जोरहाट’ के स्टेडियम में मनाया गया, जिसमें जोरहाट के गणमान्य व्यक्तियों ने हिस्सा लिया। मंदिरजी में समय समय पर मुनि दयासागरजी महाराज, संत मुनि प्रसन्नसागरजी महाराज व आचार्य पुष्पदंतसागरजी महाराज का आगमन हो चुका है। – महेश झांझरी जैन
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