मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम जन्मोत्सव पर विशेष
सनातन धर्म को सर्वोच्च बताने वाली भारत की भूमि हमेशा से ही एक पवित्र
भूमि रही है, इतिहास के पन्नों को पलट कर देखा जाए तो यहाँ कई देवीदेवताओं के मनुष्य अवतार का वर्णन मिलता है, इसी इतिहास की ओर लौटकर देखा जाए तो जब रावण के अत्याचार बहुत बढ़ गए थे, आमजन परेशान हो गए थे, तो इन अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए पुनः भारतीय भूमि पर एक महापुरुष ने जन्म लिया, इस महापुरुष का नाम भगवान राम था, जिन्होंने विद्धान पंडित रावण के अत्याचारों से मुक्ति दिलवाई और उस वक्त लोगों का उद्धार किया। त्रेता युग में जन्में भगवान राम के जन्मदिवस को ही ‘राम नवमी’ के रूप में मनाया जाता है। सनातन धर्म में पूरे वर्ष कोई ना कोई त्योहार मनाया जाता है, जिनका अपना एक अलग महत्व होता है, उसी तरह से ‘राम नवमी’ का यह त्योहार धरती पर से बुरी शक्तियों के पतन और यहाँ साधारण मनुष्यों को अत्याचारों से मुक्ति दिलवाने के लिए भगवान के स्वयं आगमन का प्रतीक माना जाता है, इस दिन धरती पर से असुरों के अत्याचारों को समाप्त करने के लिए भगवान विष्णु ने स्वयं धरती पर श्रीराम के रुप में अवतार लिया था। ‘राम नवमी’ सनातन धर्मियों को मानने वालों के लिए एक खास पर्व है, जिसे वह पूरे उल्लास के साथ मनाता है, इस दिन जन्में श्रीराम ने धरती पर से रावण के अत्याचार को समाप्त कर यहाँ राम राज्य की स्थापना की थी और दैवीय शक्ति के महत्व को समझाया था, इस दिन ही नवरात्रि का आखरी दिन होता है, इसलिए दो प्रमुख हिन्दू त्योहारों का एक साथ होना, इस त्योहार के महत्वता को और अधिक बढ़ा देता है। पुराणों में उल्लेख मिलता है कि श्री गोस्वामी तुलसीदास जी ने जिस राम चरित मानस की रचना की थी, उसका शुभारंभ भी उन्होंने नवमी के दिन से किया था।
राम जन्म अवतार इतिहास कथा : प्राचीन धर्म ग्रंथों के अनुसार त्रेता युग में जब धरती पर रावण और तड़का जैसे असुरों का आतंक का घड़ा भर गया तो
स्वयं भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के अवतारों का धरती पर आगमन हुआ और इन्होंने अपने भक्तों का उद्धार किया। प्राचीन लोक कथाओं में उल्लेख
मिलता है कि त्रेता युग में अयोध्या के राजा दशरथ की ३ पत्नियाँ थी, परंतु फिर भी वे संतान सुख से वंचित थे। महाराज दशरथ ने अपनी एकमात्र पुत्री
शांता को गोद दे दिया था, जिसके बाद उन्हें कई सालों तक कोई संतान नहीं हुई, इससे व्यथित राजा दशरथ को ऋषि वशिष्ठ ने कामेष्ठि यज्ञ करवाने की
आज्ञा दी, इस यज्ञ के फलस्वरूप राजा दशरथ के यहाँ तीनों रानियों को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई और उनकी प्रथम पत्नी कौशल्या की कोख से भगवान राम
का जन्म हुआ, राजा दशरथ के तीन अन्य पुत्र भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न थे।
राम नवमी क्यों मनाते हैं?
त्रेता युग में लोग रावण नामक राक्षस के दुराचार से लोग परेशान हो गए थे, रावण महाज्ञानी था और महापराक्रमी होने के साथ ही वह भगवान शिव का
महाभक्त भी था, उसे वरदान था कि उसका खात्मा किसी साधारण मनुष्य के वश में नहीं था, तब लोगों को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलवाने के लिए
भगवान विष्णु ने स्वयं धरती पर अवतार लिया, उनका जन्म चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन रानी कौशल्या की कोख से हुआ था, इसलिए यह दिन
सभी भारत वासियों के लिए खास है, जिसे विशेष उत्साह के साथ पूरे देश में मनाया जाता है।
रावण का वध करना श्री राम के पूजन का कारण नहीं है, बल्कि श्री राम का पूरा जीवन ही एक उदाहरण है, अपने जीवन चरित्र के चलते श्री राम मर्यादा
पुरूषोत्तम कहलाए, आपने अपने पिता के एक आदेश मात्र पर, महल के सुख का त्याग कर वन जीवन को स्वीकार किया, इस प्रकार आपके जीवन को एक
आदर्श जीवन के रूप में प्रस्तुत करना और आने वाली पीढ़ियों तक यह संदेश पहुंचाना भी इस दिन को मनाने का एक उद्देश्य है।
राम नवमी कैसे मनाई जाती है :
‘श्रीराम नवमी’ भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह त्योहार चैत्र माह की नवमी तिथि के दिन पड़ता है, चैत्र माह में माता दुर्गा के नौ रुपों का पूजन किया जाता है, इसी दौरान नवरात्रि के नौवे दिन राम नवमी होती है, हिन्दू धर्म में इस दिन विभिन्न धार्मिक ग्रंथों का पाठ, हवन पूजन,
भजन आदि किया जाता है, इस दिन कई लोग शिशु रूप में भगवान राम की मूर्ति पूजा भी करते है, दक्षिण भारतीय लोग इस पर्व को भगवान राम और देवी सीता की
शादी की सालगिरह के रूप में मानते है, परंतु रामायण के अनुसार अयोध्यावासी पंचमी के दिन इनका विवाहोत्सव मनाते हैं।
अलग-अलग क्षेत्रों में इस त्योहार को मनाने का तरीका भी अलग-अलग है, जहां अयोध्या और बनारस में इस दिन गंगा और सरयू में स्नान के बाद
डुबकी लगाई जाती है और भगवान राम, सीता और हनुमान की रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है, वहीं अयोध्या, सितामणि, बिहार, रामेश्वरम आदि
जगहों पर चैत्र पक्ष की नवमी पर भव्य आयोजन किए जाते हैं, यह दिन सभी सनातन धर्मावलम्बियों के लिए खास होता है, बस सबके मनाने का तरीका
अलग होता है। कई जगहों पर इस दिन पंडालों में भगवान राम की मूर्ति की स्थापना भी की जाती है, यह दिन भगवान राम की जन्म स्थली अयोध्या में
विशेष रूप से मनाया जाता है, यहाँ भव्यतिभव्य भगवान राम के मंदिर का निर्माण चल रहा है।
राम का जन्म अभिजित नक्षत्र में दोपहर बारह बजे चैत्र शुक्ल पक्ष नवमी को हुआ था, कई जगहों पर इस दिन सभी भक्तजन अपना चैत्र नवरात्री का उपवास
दोपहर १२ बजे पूर्ण करते हैं, घरों में खीर-पुड़ी और हलवे का भोग बनाया जाता हैं, कई जगहों पर राम स्त्रोत, राम बाण, अखंड रामायण आदि का पाठ
होता है, रथ यात्रा निकाली जाती हैं, मेला सजाया जाता हैं।