माहेश्वरी समाज की कुल माताएं

१.सेवल्या माता- माता जी का स्थान राजस्थान के भीलवाड़ा जिले की मांडल तहसील के ग्राम बागौर में है। संवल्या माताजी का मंदिर अति प्राचीन है जो ब्राम्हणी माता के नाम से भी प्रसिद्ध है इस क्षेत्र के लोगों में माताजी के प्रति अटुट श्रद्धा है एवं लोगों की मन्नतें यहां से पूर्ण होती है।
२.बंधर माता- उदयपुर के चित्तौड़गढ के रास्ते पर एयरपोर्ट रोड पर मोमार गाँव से आगे १० किमी. दूर बायें हाथ की तरफ अकोला जानेवाली सड़क पर ‘तानागाँव’ पड़ता है, इसी ‘तानागाँव’ की पहाड़ी पर मंदीर है, नवरात्री में नवमी के दिन यहाँ विशाल मेले का आयोजन होता है।
३.सिसणाय माता- माता जी का मंदिर मांडलगांव (भीलवाड़ा) में बताया गया है, सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाई है।
४.झीण माता (सीकर)- मंदिर के पुजारी जी के अनुसार कि सोमानी, जाजू, बजाज, काबरा, राठी, बिड़ला, तोषनीवाल, छापरवाला, तापाड़िया खांप वाले भी मानते हैं, सीकर से २८ किमी. दूर दक्षिण अरावली गिरी में झीण माता का भव्य मंदिर प्राचीन ऐतिहासिक है।
५.बिसवन्त माता (जानकारी उपलब्ध नहीं)
६.चान्दसैण माता (चान्दसिणी माता)- अजमेर से ७० किमी. णालपुरा(टोंक) से १५ किमी टोडा रायसिंह रोड पर टोरडी ग्राम है, माता के पवित्र दर्शन होते हैं।
७.फलौदी माता-समदानी, सिंगी, तुलावटया, वियाल, जुजनोत्या, मालाणी, टुवाणी, गांधी, नख वाले भी फौलादी माता को मानते हैं। मेडता रोड में फौलादी ब्रम्हाणी माता का मंदिर है।
८.संचाय माता- माता जी का मंदिर ओसियां (जिला जोधपुर) में है, भव्य ऐतिहासिक मंदिर है, जैन ओसवाल व अन्य समाजवाले भी मानते हैं।
९.अमल माता- श्री अमलमाता जी का मंदिर ग्राम रिछेड में है। ३५० सीढियों के ऊपर भव्य विशाल मंदिर है, चार भुजाजी से रिछेड़ जाना पड़ता है।
१०.चामुण्डा माता- जोधपुर दुर्ग में चामुण्डा माताजी का भव्य मंदिर है, माताजी का एक अन्य मंदिर सोजत स्थित एक पहा़ड़ी की गुफा में स्थित है।
११. लिकासण माता- लिकासण माता का मंदिर नागौर जिले के लिकासण गांव में है, यह स्थान नागौर से ७५ किमी. डीडवाना से १८ किमीr. छोटी खाटू से ५ किमी. दूर है।
१२.मात्री माता- मात्री माता का स्थान नागौर जिले के खींवसर गाँव में है, यहाँ पूजा नहीं होती है। मात्री माता के इस मंदिर में कोई प्रतिमा नहीं है, अपितु प्रतीक रूप से इस स्थान पर मात्री माता का स्थान है।
१३.दधीमति माता-पुजारी जी ने बताया कि कचौल्या, झखोटिया, इनाणी, लोया, गिलडा, पलोड खांप वाले भी कुल माता दधिमति को मानते हैं। गोठ मांगलोद जिला नागौर में ‘‘मां दधिमति शक्तिपीठ’’ नाम से ऐतिहासिक प्रसिद्ध मंदिर है।
१४.सैणल माता-जानकारी उपलब्ध नहीं
१५.डेरूं माता- जानकारी उपलब्ध नहीं
१६.जजेसल माता- जानकारी उपलब्ध नहीं
१७.खींवज माता,पोकण (जैसलमेर)- इनका पोकरण के दक्षिण में ४ कि.मी. दूर फलसूण्ड बाडमेर रोड पर मंदिर तक पक्की सड़क है, खींवज माता ट्रस्ट पोकरण के नाम से बना हुआ है। नवरात्री में मेला भरता है तब दूर-दूर से यात्री आते है।
१८.मम्माय माता- जानकारी उपलब्ध नहीं
१९.जाखण माता- जानकारी उपलब्ध नहीं
२०.सांगल माता- मंदिर भादरिया में स्थित है, यह स्थान एशिया प्रसिद्ध है, यहां अण्डर ग्राउण्ड लॉयब्रेरी है, जिसमें लाखों पुस्तकें हैं तथा १५००० गायों की विशाल गौशाला है।
२१.विसु माता- विसु माता जी को बिसानी, जेठा भट्टड़, कुलधरिया, मेहरा नख वाले भी मानते हैं। जैसलमेर के गडसीसर तालाब के पास मुक्तेश्वर मंदिर से आगे गडीसर आड (बन्धा) के पास मंदिर है।
२२.आशापुर माता- आशापुर माता का पोकरण (जिला जैसलमेर) से ३किमी. शहर से दूर भव्य विशाल मंदिर है, मंदिर के सामने आशापुर माता धर्मशाला भी बनी हुई है।
२३.पाढाया माता- बीकानेर में पाढाया माता का मंदिर पारीक चौक में स्थित है, मंदिर में ठहरने और रहने की व्यवस्था है। मंदिर में रोजाना पुजा अर्चना होती है।
२४.गायल माता- गायल माता मंदिर का जोधपुर के आसोप में है। मंदिर का अ.भा. झंवर समाज का ट्रस्ट बना हुआ है, रहने और ठहरने की अच्छी सुविधा है।
२५.चावण्डा माता- चावण्डा माता का मंदिर जैसलमेर मे १३ कि.मी. लिदरवा (जैन तीर्थ मंदिर) के पास है। (चुन्धी गांव में मंदिर है) मंदिर में ठहरने और रहने की व्यवस्था है, बताते हैं कि श्री चवन ऋषि ने यहां पर तपस्या की थी।
२६.चानण माता- जानकारी उपलब्ध नहीं
२७.सुषमाद माता- सुषमाद माताजी का मंदिर नागौर जिले के कुचेरा ग्राम में है। पुष्कर व मेडता के बीच में कुचेरा पड़ता है।
२८.भद्रकाली माता- भद्रकाली माता का मंदिर हनुमानगढ टाऊन से ७ कि.मी दूर है, यहां भव्य मंदिर बना हुआ है, मंदिर में ठहरने की व्यवस्था पुजारी जी करते हैं।
२९.सुजासन माता- माताजी का मंदिर नागौर जिले के परबतसर में है, मंदिर में माताजी की दोनों समय सेवा-पूजा होती है।
३०.कल्याणी माता- जानकारी उपलब्ध नहीं-
३१.मूसा माता- यह ‘दरक’ खांप की कुल माता है, मंदिर व स्थान की जानकारी उपलब्ध नहीं है।
३२.खुंखर माता- माता जी का मंदिर नागौर जिले के तोषीना गाँव में है। नागौर से ५० किलोमीटर वाया कोलिया पडता है। यहां श्री भगवानदास जी तोतला, जलगाँव द्वारा मंदिर व धर्मशाला का निर्माण कराया गया है, रहने और ठहरने की बहुत सुंदर व्यवस्था है, मंदिर भव्य व कलात्मक बना हुआ है।
३३.नौसर माता (पुष्कर), Dाजमेर- नौसर माताजी का मंदिर अजमेर के समीप पर्वत के मध्य पुष्कर से पहले प्रतिष्ठित है। नवदुर्गा के रूप मेंस्थापित नौसर मातजी की प्रतिमा वाला मंदिर करीब १२०० वर्ष सं भी प्राचीन है।
३४.नागणैचा माता- नागणैचा माता का प्राचीन मंदिर बीकानेर शहर निवासियों की आस्था का केन्द्र है। नवरात्रि में मेला लबता है।
३५.बिसला माता- फलौदी शहर के भट्टडों के चौक में बिसल माताजी का भव्य मंदिर बना है। अभी उसमें मूर्ति नहीं लगनी बाकी है। नवरात्रि में मेला लगता है।
३६.खाण्डल माता- मारवाड मूण्डवा जिला नागौर में खाण्डल माता की ५०० वर्ष प्राचीन बंग खांप की कुल माता की प्रतिमा का सन्त श्री आत्माराम जी खाकी के दृष्टान्त द्वारा ज्ञान तालाब के प्रांगण में १३ अप्रैल २००२ को प्रकटय हुआ, जिसकी प्राण प्रतिष्ठा ११ अप्रैल २००३ को हुई। यह मूर्ति श्री नृसिंह मंदिर मूण्डवा में स्थित है।
३७.माणुधणी माता- जानकारी उपलब्ध नहीं।
३८. नौशल्या माता- नागौर जिले के जायल तहसील में नौशल्य माता का मंदिर है। इस मंदिर में प्रतिमा नहीं है। माण्डकर पूजारी जी ने बताया कि यहाँ अग्रवाला समाज केसाथ खटौड खँप वाले भी आते हैं।
३९.आशवरी माता- जानकारी उपलब्ध नहीं।
४०.मुन्दल माता- मुन्दल माता जी का मंदिर नागौर जिला के मुन्दियाड गाँव में है, जो नागौर से २४ कि.मी. दूर है। ठहरने तथा रहने की इच्छी व्यवस्था है।
४१.जीवण माता- जानकारी उपलब्ध नहीं।
४२.आशापुरा माता- नाडोल जिला से ६० किमी. उदयपुर के रास्ते में नाडोल जिला पाली पडता है। आसणी कोट के पास विशाल प्रसचीन मंदिर है।
४३.डाहरी माता- जानकारी उपलब्ध नहीं।
४४.बागलेश्वरी माता- जानकारी उपलब्ध नहीं।
४५.बागलोद माता- जानकारी उपलब्ध नहीं।
४६.हिंगलाज माता- बीकानेर के पास कोलायत से ३ कि.मी. की दूरी पर मढ गाँव में हिंगलाज माताका पुराना ऐतिहासिक मंदिर सम्वत् १६४८ में बना हुआ बताते हैं।
४७.गारस माता- जानकारी उपलब्ध नहीं।
४८.धोलेश्वरी माता- धोलेश्वरी माताजी का मंदिर अलवर जिले के लक्ष्मणगढ तहसील में वहलुकला ग्राम के नजदीक पहाड़ी पर स्थित है, यह धोल पर्वत के नाम से जाना जाता है।
४९.भैंसादश्री माता- भैंसादश्री माता का मंदिर नीमच सिटी के मीणा मोहल्ले में नदी किनारे पर है, यह मंदिर ६०० वर्ष पुराना बताते हैं।
५०.नवासण माता- जानकारी उपलब्ध नहीं।
५१.धरज माता, पोकरण- माताजी का मंदिर पोकरण शहर के मध्य स्थित है। विवाह-जात, झुडुला के लिए गाँधी, नावंदर परिवार आते हैं, इसके अलावा धरजल माता का मंदिर घेवडा जिला जोधपुर में भी है।
५२.डोरसिया माता,डारू- नागौर जिले के खींवसर से मैन रोड से जोरापुर गाँव से ६ किमी. दूर डारू गाँव है। डारू गाँव के २ किमी. दूर तालाब के किनारे मंदिर बना हुआ है। डोरसिया माता जी ट्रस्ट सेवा समिति गाँव डारू, नागौर नाम से बनी हुई है।
५३.सोढल माता- गोलकिया, पंसारी नख वाले मानते हैं। सोढत माताजी का मंदिर जैसलमेर दुर्ग में थोड़े आगे चलते ही अखैप्रोल के पास में ही स्थापित है, यह मंदिर ४०० वर्ष पुराना बताते हैंं।
५४.बीस हत्थ माता, जोधपुर- इनका मंदिर भैरूनाथ जोधपुर में जैन मंदिर के प्रांगण में है, वहाँ पर धर्मशाला भी है। जोधपुर में माहेश्वरी भवन के अनेकों होटल, धर्मशालाएं हैं जहाँ पर ठहरने की अच्छी व्यवस्था है।
५५.द्विजेश्वरी माता- यह मंदिर हनुमानगढ जिले के नोहर तहसील के भूकरका गाँव में है। कुल माता का नाम द्विजेश्वरी माता है। माताजी के मंदिर में पचीसिया नख वालों की विवाह की जात तथा मुण्डन संस्कार होते हैं।
५६.भादरिया माता- भादरिया (जैसलमेर) में भव्य मंदिर है। यहा ठहरने के लिए माहेश्वरी भवन की धर्मशालाएं व होटल भी हैं।
५७.सामल माता-
५८.ब्राम्हणी माता- माँ दुर्गा के दूसरे स्वरूप का नाम ब्रम्हचारिणी है यहां शब्द का अर्थ तपस्या है। कठोर तपस्या को चारिणी होने के कारण ही प्रसिद्धि ‘ब्रम्हचारिणी’ नाम से हुई।
५९.जसाय मात- जानकारी उपलब्ध नहीं

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