कालिम्‍पोंग – एक सुन्दर पर्यटक स्थल

कालिम्पोंग पश्चिम बंगाल के दार्जीलिंग जिले में स्थित है। कालिम्पोंग १७०० ई. तक सिक्किम का एक भाग था। १८वीं शताब्‍दी के प्रारम्‍भ में भूटान के राजा ने इस पर कब्‍जा कर लिया था। आंग्‍ल-भूटान युद्ध के बाद १८६५ ई. में इसे दार्जिलिंग में मिला दिया गया। १९वीं शताब्‍दी के उत्तरार्द्ध में यहां स्‍काटिश मिशनरियों का आगमन हुआ। १९५० ई. तक यह शहर उनका प्रमुख व्‍यापार का केंद्र था। वर्तमान में यह शहर पश्चिम बंगाल का प्रमुख पर्यटक स्थल है।

कालिम्पोंग एक बहुत ही व्‍यस्‍त शहर है, ऐसा इसलिए है क्‍योंकि दार्जिलिंग और गंगटोक इसी शहर से होकर जाया जा सकता है। यहां आप अपनी व्‍यस्‍त जिंदगी से विश्राम लेकर आराम के कुछ पल व्‍यतीत कर सकते हैं। गाड़ी से इस शहर को एक दिन में घूमा जा सकता है। इस शहर को पैदल घूमने के लिए दो या तीन दिन लग सकते है। कालिम्पोंग पुर्वोत्तर हिमालय के पीछे स्थित है। यहां से कंचनजंघा श्रेणी त‍था तिस्‍ता नदी की घाटी का बहुत सुंदर नजारा दिखता है।
गोंपा रोम्‍प- थोंगशा गोंपा कालिम्पोंग में स्‍ि‍थत सभी मठों में सबसे पुराना है, इसे भूटानी मठ के नाम से जाना जाता है, इस मठ की स्‍थापना १६९२ ई. में हुई थी। इस मठ की मूल संरचना अंग्रेजों के आगमन से पहले आंतरिक झगड़े में नष्‍ट हो गया था। जोंग डोग पालरी फो ब्रांग गोंपा मठ को दलाई लामा ने १९७६ ई. में आम जनता को समर्पित कर दिया। यह मठ दूरपीन दारा चोटी पर स्थित है। इस मठ में बौद्धों का प्रसिद्ध ग्रंथ ‘कंग्‍यूर’ रखा हुआ है। १०८ भागों वाले इस ग्रंथ्‍ा को दलाई लामा तिब्‍बत से अपने साथ लाए थे। इस मठ के प्रार्थना कक्ष की दीवारों पर बहुत ही सुंदर चित्रकारी की गई है। इस मठ की ऊपरी मंजिल में त्रिआयामी मंडला है। इस मठ के नजदीक ही थारपा चोइलिंग गोंपा मठ है। यह मठ तिब्‍बतियन बौद्ध धर्म के जेलूपा संप्रदाय से संबंधित‍ है।
औपनिवेशिक विरासतें कालिम्पोंग में अभी भी बहुत से औपनिवेशिक भवन है। इन भवनों में मुख्‍यत बंगला तथा पुराने होटल शामिल हैं। ब्रिटिश व्‍यापारियों द्वारा बनाए गए ये भवन मुख्‍य रूप से रिंगकिंगपोंग तथा हिल टॉप रोड पर स्थित है। इन भवनों में मॉरगन हाउस, क्राकटी, गलिंका, साइदिंग तथा रिंगकिंग फॉर्म शामिल है। मॉरगन हाउस तथा साइदिंग को सरकार ने अपने नियंत्रण में लेकर पर्यटक आवास के रूप में तब्‍दील कर दिया है। इन भवनों के नजदीक ही संत टेरेसा चर्च है। इस चर्च को स्‍थानीय कारीगरों ने प्रसिद्ध गोंपा मठ की अनुकृति पर बनाया गया है।
रेशम उत्‍पादन अनुसंधान केंद्र ‘कालिम्पोंग’ फूल उत्‍पादन का प्रमुख केंद्र है। यहां देश का ८० प्रतिशत ग्‍लैडीओली का उत्‍पादन होता है, इसके अलावा यह आर्किड, कैकटी, अमारिलिस, एंथूरियम तथा गुलाबों के फूल के लिए प्रसिद्ध है।
रोपवे यहां प्रसिद्ध आर्मी गोल्‍फ क्‍लब है, इसके अलावा यहां तिस्‍ता नदी में रोमांचक खेल राफ्टिंग की शुरुआत की गई है। रोमांचक खेल पसंद करने वाले को यहां जरुर आना चाहिए। यह स्‍थान तिस्‍ता बाजार के नजदीक स्थित है। अगर आप इस खेल का पूरा आनन्‍द लेना चाहते हैं तो यहां एक पूरा दिन देना होगा, इस खेल का आनन्‍द लेने का सबसे अच्‍छा समय मध्‍य नवंबर से फरवरी त‍क है, इसके अलावा हाइकिंग खेल का मजा तिस्‍ता नदी की घाटी में पूरे साल लिया जा सकता है।
तिस्‍ता नदी पर प्रसिद्ध शांको रोपवे है। यह रोपवे १२० फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस रोपवे का निर्माण स्‍वीडन सरकार की मदद से किया गया था। यह रोपवे तिस्‍ता और रीली नदी के बीच बना हुआ है। इस रोपवे की कुल लंबाई ११.५ किलोमीटर है। इस रोपवे के कारण समथर पठार, जो की कालिम्पोंग से २० किलोमीटर की दूरी पर सिलीगुड़ी जाने के रास्‍ते पर स्थित है, जाना आसान हो गया है। बिना रोपवे के यहां जाने में एक दिन का समय लग जाता है।
खानपान कालिम्पोंग में आपको हर चौराहे पर स्‍टीम मोमोज, थूक्‍पा (नूडल सूप) तथा चो आदि खाने को मिल जाएगा। कालिम्पोंग में बहुत से अच्‍छे रेस्‍टोरेंट हैं। ग्‍लेनरी होटल का दो रेस्‍टोरेंट है- पहला ऋषि रोड पर तथा दूसरा ऑगडेन रोड पर। इन दोनों रेस्‍टोरेंटों में केक, पेस्‍ट्री, पैटीज, चाय तथा कॉफी मिलती है। मंदारिन रेस्‍टोरेंट में मछली, सुअर का भूना हुआ मांस तथा मुर्गा के मांस के लिए प्रसिद्ध है। गोम्‍पू होटल में बार की सुविधा है। कलसंग रेस्‍टोरेंट जो कि लिंक रोड पर स्थित है तिब्‍बती भोजन के लिए जाना जाता है। यहां की स्‍थानीय शराब जो कि बाजरे से बनती है, बांस के बर्त्तन में परोसी जाती है। इस शराब को छंग भी कहा जाता है। अन्‍नपूर्णा रेस्‍टोरेंट में अच्‍छा भोजन मिलता है। अगर आप बेहतरीन भोजन चाहते हैं तो हिमालयन होटल तथा सिल्‍वर ओक होटल जाइए, लेकिन यहां पहले से ही बुकिंग कराना होता है। यहां के सभी होटल रात ८३० से ९ बजे तक बंद हो जाते हैं। खरीदारी भूटिया शिल्‍प, लकड़ी का हस्‍तशिल्‍प, बैग, पर्स, आभूषण, थंगा पेंटिग्‍स तथा चाइनीज लालटेन की खरीदारी यहां से की जा सकती है, इन सब वस्‍तुओं के लिए डम्‍बर चौक पर स्थित भूटिया शॉप प्र्ासिद्ध है, इसके अलावा इन वस्‍तुओं की खरीदारी के लिए कालिम्पोंग आर्ट एंड क्रार्फ्ट कॉओपरेटिव भी सही है। कालिम्पोंग की स्‍थानीय चीजें तथा लॉलीपॉप यहां आने वाले हर पर्यटकों को जरुर खरीदनी चाहिए।
बर्फ से ढकी चोटियों वाला यह स्‍थान, भारत के पश्चिम बंगाल राज्‍य में एक सुंदर हिल स्‍टेशन की क्षितिज पर स्थित है। कालिम्पोंग पर्यटन का सबसे बड़ा तथ्‍य यह है कि यह राजसी हिल स्‍टेशन समुद्र तल से ४००० फीट की ऊंचाई पर स्थित है और यहां ताजा शुद्ध हवा चलती है जो आने वाले हर पर्यटक की छुट्टियों को शानदार बना देती है और पर्यटक बार – बार आना चाहते हैं। सीधे शब्‍दों में कहें तो कालिम्‍पोंग एक ऐसी जगह पर स्थित है जहां आपको पश्चिम बंगाल की परम्‍परा देखने को मिलती है, वहां की संस्‍कृति, भोजन के साथ-साथ लोगों का बौद्ध मठ के प्रति झुकाव, आपको कभी नहीं भूलने देगा कि आप हिमालय की तलहटी पर महाभारत पर्वतमाला के बीच में है। प्रकृति प्रेमियों के लिए कालिम्‍पोंग में बहुत सारी खास चीजें है जैसे क्‍लाउडेड लियोपार्ड, रेड पांडा, साइबेरियन बीजल, बार्किंग डीयर, इस शहर में पक्षियों की भी विस्‍तृत विविधता देखी जा सकती है। अगर आप प्रकृति के और करीब जाना चाहते है तो शहर में स्थित नेओरा राष्‍ट्रीय उद्यान या ऋषि बंकिम चंद्र पार्क की सैर भी एक दिन में कर सकते है। यहां की भूमि पर चीड़ के पेड़ सबसे ज्‍यादा हैं और एक आदर्श पिकनिक स्‍थल है। कालिम्‍पोंग में पाए जाने वाले आर्किड सारी दुनिया में निर्यात किए जाते हैं जो सबको खुश कर सकते है। सांस्‍कृतिक रंग में रंगे हुए दो स्‍थल हैं लेपचा संग्रहालय या जांग ढोल पालरी पोडांग मठ, ये दोनों ही स्‍थल शहर के केंद्र से एक किमी. की दूरी पर स्थित हैं। य‍ह कोई मायने नहीं रखता है कि आपको पर्यटन में क्‍या चाहिए, कालिम्‍पोंग में सारी उम्र के लोगों के लिए कुछ खास है।
यह सिलीगुड़ी के पास स्थित है जिससे पर्यटक यहां तक आसानी से सैर के लिए आ सकते हैं। इस शहर की सैर में कई सुंदर दृश्‍य भी देखने को मिलते है। कालिम्‍पोंग में सभी जगहों पर ब्राडबैंड नेट की जरूरत नहीं पड़ती, यहां हॉटेलों आदि में हाई स्‍पीड इंटरनेट चलता है जिसका फायदा पर्यटक आसानी से उठा सकते हैं। कालिम्‍पोंग का मौसम गर्मी और वसंत कालिम्‍पोंग के सबसे अच्‍छे मौसम है। इस दौरान यहां के स्‍थानीय निवासियों के लिए सबसे ज्‍यादा रोजगार का समय होता है। ‘कालिम्‍पोंग’ भारत और नेपाल के बीच का सबसे महत्‍वपूर्ण व्‍यापार जंक्‍शन है। ‘कालिम्‍पोंग’ भारत और चीन के लिए भी व्‍यापार जंक्‍शन का काम करता है। ‘कालिम्‍पोंग’ में एक शिक्षा हब भी है जहां शहर और आसपास के इलाके के बच्‍चे पढ़ने आते हैं। ‘कालिम्‍पोंग’ में मौसम का बदलाव बेहद खास है, मानसून के दिनों में कालिम्‍पोंग की यात्रा न ही करें। कालिम्‍पोंग के स्‍थानीय लोग ज्‍यादातर नेपाली हैं जो ‘भारत’ की आजादी से पहले नौकरी खोजने की तलाश में यहां आकर बस गए थे। ‘कालिम्‍पोंग’ के लोग खुले दिमाग के होते हैं, खुश रहते हैं। यहां मनाए जाने वाले प्रमुख त्‍यौहार दीवाली, दशहरा और क्रिसमश है। ‘कालिम्‍पोंग’ भारत का एक ऐसा स्‍थान है जहां देश की संस्‍कृति देखने को मिलती है। यहां की स्‍थानीय जनता में विभिन्‍न प्रकार के लोग निवास करते हैं, उसके बावजूद भी भारत की विशाल संस्‍कृति के दर्शन यहां होते है। यहां की यात्रा के दौरान लेपचा संग्रहालय और जींग ढोक पालरी पोडांग मंदिर की सैर अवश्‍य करें। थुपका यहां की नुडल्‍स आधारित डिश है जिसे सर्दियों के दौरान बनाया जाता है। चुरपी एक स्‍थानीय डिश है जिसे याक के दूध से बनाया जाता है जिसे स्‍टोर करके रखा जाता है। भोजन के साथ आप यहां द‍ार्जिलिंग चाय की चुस्कियां भी उठा सकते हैं, जो आपके अंदर ताजगी भर देती है। गोल्‍फ के शौकीन लोगों के लिए कालिम्‍पोंग कुछ खास है, यहां १८ होल्‍स वाला गोल्‍फ कोर्ट है। गोल्‍फर्स का मानना है कि कलिम्‍पोंग का गोल्‍फ ग्रांउड दुनिया का सबसे अच्‍छा गोल्‍फ कोर्स है, इस गोल्‍फ कोर्स की देखभाल भारतीय सेना द्वारा की जाती है। कालिम्‍पोंग तक कैसे पहुंचें कलिम्‍पोंग, सिलीगुडी से राजमार्ग ३१ के रास्‍ते पर स्थित है, यहां से सड़क के एक घंटे के सफर के बाद आप कालिम्‍पोंग पहुंच सकते हैं। बागड़ोगरा एयरपोर्ट से टैक्‍सी भी आसानी से मिल जाती है। पर्यटक चाहें तो कार की बुकिंग कर सकते हैं और कालिम्‍पोंग तक की यात्रा आसानी से कर सकते हैं।
तीस्‍ता बाजार तीस्‍ता बाजार, तीस्‍ता नदी के किनारे पर स्थित है। यह कालिम्‍पोंग से कुछ किमी. की दूरी पर स्थित है, यहां आकर पर्यटक कालिम्‍पोंग के स्‍थानीय भोजन, सामान, गहने, कपड़े, घरेलू सामान आदि को खरीद सकते हैं। यहां चाइनीज, तिब्‍बती और भूटानी सामान मिलता है। यहां बिकने वाली चप्‍पलें बेहद सुंदर होती है। इस स्‍थान पर तीस्‍ता नदी में रिवर राफ्टिंग भी कर सकते है। यह वह स्‍थान है जहां से तीस्‍ता नदी, पश्चिम बंगाल की ओर बहती है, इस स्‍थान की सीमाओं पर भारतीय सेना के जवान हमेशा गश्‍त में रहते हैं।

जॉग ढोग पालरी फो ब्रांग मठ बौद्ध मंदिर का वर्णन करने के लिए प्राचीन और शांत, दो शब्‍द पर्याप्‍त होत्ो हैं। यहां का पूजा हॉल शांत है। इस मठ की देखरेख के अभाव के कारण यहां की वास्‍तुकला की चमक खोती जा रही है। इस मठ का नए सिरे से जीर्णोद्धार किया जा रहा है। इस स्‍थान पर आकर पर्यटक, युवा लामा को देख सकते हैं जो ऊर्जा से भरपूर और धर्म को दिल से स्‍वीकार करने वाले होते हैं। आप उनकी जीवन शैली को उनके अंदाज में देख सकते हैं।

कालिम्‍पोंग रोमन कैथोलिक चर्च कालिम्‍पोंग रोमन कैथोलिक चर्च, भारत के उन स्‍थलों में से एक है जहां धार्मिक सद्भाव सबसे ज्‍यादा देखने को मिलता है। यह चर्च बौद्ध मठों, मंदिरों और मस्जिद के बीच स्थित एक उत्‍कृष्‍ट उदाहरण है जो धार्मिक सद्भाव को दिखाता है। अगर आप गाम्‍पस लॉज के आसपास है तो थोड़ी सी दूरी के वॉकिंग डिसटेंस पर आप इस मठ तक पहुंच सकते हैं। यह चर्च औपनिवेशिक काल की वास्‍तुकला से बना हुआ है जहां का वातावरण शांतिमय और सटीक होता है जहां आप सुकून के दो पल बिता सकते हैं।
कैक्‍टस नर्सरी इस नर्सरी में कैक्‍टस की कई प्रजातियां देखने को मिलेगी। यह स्‍थान, पर्यटकों को कांटों भरे पेड़ों की दुनिया में रूचि पैदा कर सकता है। यहां पेड़ों का रखरखाव करने वाले लोग, कैक्‍टस को उनके प्राकृतिक आवास में रखने का प्रयास करते है। फोटो खींचने के शौकीन लोग यहां आसानी से अपने शौक को नया रूप दे सकते हैं, अपनी क्रिएटिविटी दिखा सकते हैं। आप यहां से सस्‍ते दामों पर कैक्‍टस के पेड़ खरीद सकते है, नर्सरी के मालिक के द्वारा यहां ठहरने की सुविधा भी प्रदान की जाती है।
कालिम्पोंग कला और शिल्‍प केंद्र रविन्‍द्रनाथ टैगोर को साहित्‍य का गुरूवार कहा जाता है, जिन्‍होंने भारतीय राष्‍ट्रगान लिखा था, जो इस संग्रहालय में उनको श्रद्धांजलि देते हुए रखा हुआ है। ऐतिहासिक रूप से इसे चित्रभानू कहा जाता है, यह स्‍थल टैगोर जी स्‍मृतियों के रूप में प्रसिद्ध है और यहां व्‍यावसायिक प्रशिक्षण केन्‍द्र भी चलाए जाते हैं।
डेलो हिल समुद्र तल से करीब ५,४१३ फुट की ऊंचाई पर एक टीले पर स्थित देओलो हिल ‘कालिम्पोंग’ की सबसे ऊंची जगह है। यहां से पूरे पहाड़ी इलाके का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है। देओलो हिल ‘कालिम्पोंग के उत्तर-पूर्व में स्थित है और यहां से रैली घाटी और तीस्ता नदी के खूबसूरत नजारे देखने को मिलते हैं। यहां पैराग्लाइडिंग जैसे रोमांचक खेलों की भी सुविधा है जिसके चलते यह जगह रोमांच पसंद करने वाले सैलानियों को भी काफी आकर्षित करती है। पर्यटन विभाग ने इस पहाड़ी की तलहटी में आठ एकड़ का एक हरा-भरा बाग विकसित किया है जिसमें बड़ी तादाद में खूबसूरत फूल हैं जिन्हें देख कर आंखों को बहुत आनंद मिलता है।
देओलो हिल को देखने के लिए देश भर से सैलानी आते हैं और प्राकृतिक सौंदर्य को करीब से देखने की इच्छा रखने वालों के बीच यह जगह काफी लोकप्रिय है। पहाड़ी के ऊपर से कंचनजंगा की चोटी को निहारने का अद्भुत आनंद भी यहां से लिया जा सकता है।

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