मुंबई में विश्व शांति का आगाज
महात्मा गांधी अहिंसा, शांति और सद्भावना के प्रतीक – रामदास अठावले केंद्रीय मंत्री, भारत सरकार
अहिंसा विश्व भारती देश भर में करेगी
२४ विश्व शांति सम्मेलनों का आयोजन
जैन दर्शन का महात्मा गांधी के जीवन में गहरा प्रभाव – आचार्य लोकेश मुनि धार्मिक सद्भावना वर्तमान समाज की आवश्यकता – धर्म गुरु अहिंसा विश्व भारती संस्था ने शांतिदूत आचार्य लोकेश मुनि के मार्गदर्शन में केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले, महाराष्ट्र के मंत्री राज के. पुरोहित विधायक मंगल प्रभात लोढ़ा की विशिष्ठ उपस्थिती में एवं विभिन्न धर्मों के गुरुओं के पावन सान्निध्य में विश्व शांति सम्मेलनों की शृ्रंखला का उदघाटन मुंबई में किया गया। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज सभागार (BSE Auditorium), मुंबई में आयोजित कार्यक्रम में ‘अहिंसा द्वारा विश्व शांति’ अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में महात्मा गांधी की शिक्षाओं के माध्यम से किस प्रकार समाज में शांति सद्भावना की स्थापना कर एक विकासशील राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है इस पर सबने विचार व्यक्त किया।
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि महात्मा गांधी का अहिंसा और सत्य से गहरा संबंध रहा, उन्होंने अहिंसा और सत्य के आदर्शों को समझा, अपने जीवन में उतारा और जन आंदोलन के रूप में उसके माध्यम से देश को आजादी दिलाई। महात्मा गांधी अहिंसा, शांति और सद्भावना के प्रतीक थे, उनके आदर्शो को अपनाने से सुदृढ भारत का सपना साकार हो सकता है। अहिंसा विश्व भारती संस्था महात्मा गांधी के आदर्शों को एक क्रांति के रूप में पुन: देश के हर नागरिक के समक्ष ले जाना चाहती है, भारत सरकार की ओर से राष्ट्र निर्माण के कार्य के लिए आभार व कृतज्ञता।
प्रखर चिंतक आचार्य डॉ. लोकेशमुनि ने कहा कि महात्मा गांधी ने एक ऐसे राष्ट्र की कल्पना की थी जहां सबको समान अधिकार मिले, सौहार्द पूर्ण वातावरण हो और आर्थिक अभाव ना हो, इसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए हम सब गतिशील रहते हैं।
आचार्य लोकेश ने इस अवसर पर कहा कि भगवान महावीर की शिक्षाओं पर आधारित जैन धर्म में अहिंसा, शांति, अपरिग्रह, सद्भावना जैसे सिद्धान्त बेहद महत्वपूर्ण हैं।
महात्मा गाँधी जैन धर्म से बेहद प्रभावित थे, उन्हें अहिंसा का सिद्धान्त व सूक्ष्म गहराई श्रीमद राय चंद्र जी और वीर चंद राघव जी गांधी से प्राप्त हुई थी। महात्मा गांधी ने स्वयं श्रीमद् राय चंद्र जी को अपने आध्यात्मिक गुरु के रूप में स्वीकार किया था। सत्य और अहिंसा का राजनीति प्रयोग करके महात्मा गांधी ने जैन धर्म को अभिनव ऊंचाई दी है, आधुनिक भारतीय चिंतन प्रवाह में गांधी के विचार सर्वकालिक है, वे भारतीय उदात्त सामाजिक सांस्कृतिक विरासत के अग्रदूत भी हैं और सहिष्णुता, उदारता और तेजस्विता के प्रमाणिक तथ्य भी।
सत्यशोधक संत भी और शाश्वत सत्य के यथार्थ समाज वैज्ञानिक भी, राजनीति, साहित्य, संस्कृति, धर्म, दर्शन, विज्ञान और कला के अद्भूत मनीषी और मानववादी विश्व निर्माण के आदर्श मापदण्ड भी, सम्यक प्रगति मार्ग के चिह्न भी और भारतीय संस्कृति के परम उद्घोषक भी, सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य, अस्तेय, अपरिग्रह, शरीर श्रम, आस्वाद, अभय, सर्वधर्म समानता, स्वदेशी और समवेषी समाज निर्माण की परिकल्पना ही उनका आदर्श रहा।
महाराष्ट्र के मंत्री राज के. पुरोहित ने कहा कि यह महाराष्ट्र के लिए गौरव का विषय है कि इस ऐतिहासिक क्रांति का शुभारंभ मुंबई में हुई है, मुंबई की आवाज सारे विश्व में सुनी जाती है, हमें विश्वास है कि यहाँ से शुरू होकर अहिंसा, शांति और सद्भावना का संदेश पूरे विश्व में जाएगा।
धर्म गुरुओं अमेरिका से स्वामी परमानंद, १२ वें चेंगॉन केंटिंग ताल सितुपा, सैयदना ताहेर फक्करुद्दीन साहब ने कहा कि सर्वधर्म सद्भाव वर्तमान विश्व की आवश्यकता है, विश्व शांति व सद्भावना के लिए धर्मगुरु सदैव प्रयासरत हैं।
इस अवसर पर विश्व के कोने-कोने से लोग पधारे, भारत के विभिन्न प्रदेशों से आए लोगों ने अपने प्रदेश में विश्व शांति सम्मेलन का आयोजन करने का उत्साह प्रकट किया। आशीष कुमार चौहान ने स्वागत भाषण दिया। आयोजन समिति के चेयरमेन शशि किरण सेठी, अध्यक्ष रिजवान आडतिया, संयोजक अनिल मुरारका, समन्वयक देवेन्द्र भाईजी, स्वामी परम आनन्द जी ने अपने विचार व्यक्त किए। धन्यवाद ज्ञापन अनिल मोंगा ने प्रस्तुत किया, अहिंसा विश्व भारती के सभी कार्यकर्ताओं का सम्मान किया गया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में अहिंसा विश्व भारती के कार्यकर्ता सर्वश्री गनपत कोठारी, सौरब वोहरा, किशोर खाबिया, राजीव चोपड़ा, रूपेश शाह, राकेश नाहर, गौरव बाफना, मनमोहन जयसवाल आदि ने अथक प्रयास किए।