भगवान महावीर पशु रक्षा केन्द्र के सेवा कार्य
by Bijay Jain · Published · Updated
(संचालित शेठश्री लालजी वेलजी शाह द्वारा)
अद्यतन वैद्यकीय सुविधाओं से सज्ज संस्था का पशु चिकित्सालय (वेटरनरी हॉस्पिटल) और अॅम्ब्युलेन्स
मूक, बिमार और क्षत (घायल) पशु-पक्षियों की सुश्रुषा के लिए अत्यन्त आधुनिक उपकरणों से सज्ज हॉस्पिटल संस्था के संकुल में ही है, दिन-ब-दिन बढते जा रहे यातायात की आवाजाही में रोजाना ३ से ४ अकस्मात (अॅक्सिडेन्ट) के किस्से अस्पताल में आते रहते हैं, समय पर उचित चिकित्सा मिल जाने से इन मूक प्राणियों की इस अस्पताल में चिकित्सा की जाती है, इसे लेकर संस्था को फिलहाल हर माह अंदाजन ७० से ७५ लाख रूपयों के करीब का खर्च होता है। ११,००० स्के. फीट में फैले हुए अत्याधुनिक सुविधाओं से सज्ज इन्टन्सीव केयर यनिट (आईसीयू) की विशेषताएं १२५क्स९० फीट २० फीट उॅचाई १०८ पशुओं की क्षमता एक्स-रे और ट्रिटमेन्ट रूम, ऑपरेशन थीयेटर ढलान (स्लोप) वाली सिमेन्ट फ्लोरिंग क्लोझ सर्कीट टी.वी. और ऑडियो-विडियो सिस्टम, आई सी यू में दाखिल पशुओं की सेवा के लिए मोबाईल वॅन।
संस्था को प्राप्त सिद्धियाँ:
- गुजरात सरकार द्वारा जीवदया की संस्थाओं को दिये जा रहे पारितोषिकों में सन २००२ में पाया गया श्रेष्ठता का प्रथम पुरस्कार।
- राज्य के मंत्री हरजीवनभाई पटेल की ओर से जीवदया कार्यों के लिए मिला प्रमाणपत्र।
- श्री चीनुभाई पटेल और गुजरात गोपालक विकास निगम की ओर से संस्था के कार्यों की सराहना।
- अॅनिमल वेलफयर बोर्ड ऑफ इंडिया की तरफ सन २००६ में गुजरात पशु सेवा एजेन्सी के रूप में नियुक्ति।
- ऑल इंडिया हुमन राईट्स असोसिसिएशन की ओर से सन २००७ में संस्था की कार्यप्रणाली और कार्यनिपुणता के लिए पारितोषिक।
- संस्था का ‘गिनेस बुक्स ऑफ वल्र्ड रेकार्डस’ में स्थान पाने वाला गोपाल नामक महाकाय बैल एक अजूबा था।
- भारतभर में सर्वप्रथम ११,००० स्के. फीट में पशुओं के लिए विशाल अत्याधुनिक इन्टेन्सिव केयर युनिट का निर्माण।
- गुजरात राज्य के मुख्यमंत्री नरेन्द्रभाई मोदी के हाथों सन २००८ में महावीर जीवदया पारितोषिक।
- गुजरात राज्य की स्थापना के ५० वर्ष के उपलक्ष में स्वर्णिम गुजरात अवार्ड २०११
रेगिस्तान में अमृत झरना अेन्करवाला नंदी सरोवर
जल की समस्या को लेकर आत्मनिर्भर बनने के लिए संस्थानें ३५ एकर जमीन में विशाल अेंकरवाला नंदी सरोवर बनाया गया है, इसके जल से संस्था और आसपास के गाँव के पशु-पक्षी प्यास बुझाते हैं, उनको जो तृप्ति मिलती है उससे उद्भवित पुण्य आप जैसे जीवदया प्रेमीयों के हिस्से में जाता है।
पशु-आहार के उपलक्ष्य में आत्मनिर्भर बनने की योजना
अहिंसाधाम में पानी और घासचारा के लिए आत्मनिर्भर बनने के लिए कई प्रवृत्तियाँ चल रही हैं, संस्था ने घासचारे के लिए ६०० एकर जमीन की खरीदारी की है, जिसमें घासचारे की और आयुर्वेदिक वनस्पति की खेती की जाती है, संस्था ने २००० के करीब वृक्ष उगाये हैं, वृक्ष उगाकर पर्यावरण का संतुलन बनाये रखने के कार्य में योगदान दिया जा रहा है।
संस्था के संकुल में दर्शनिय विभाग
म्युझियम (संग्रहालय) (अहिंसा, पर्यावरण, जनजागृति, इत्यादी) आई सी यू के उपर- विशाल अेन्करवाला ऑडिटोरियम (सभागृह) हॉस्पिटल (चिकित्सालय) नवनीत ऑडिटोरियम (अेम्फी थीयेटर)
गोपाल स्मृतिमंदिर: ११,००० स्के. फीट का विशाल आई.सी.यू. बालवाटिका: साधु-साध्वीओं के लिए आराधना धाम, अंध पशुओं के लिए आवास, अपाहिज पशुओं के लिए आवास, पक्षिओं के लिए पिंजडे और चबूतरे (चारा-स्थान) संकुल में ९ कि.मी. के अंतर पर संस्था के देखने लायक अन्य विभाग ३५ एकर में फैला हुआ विशाल अेन्करवाला नंदी सरोवर आयुर्वेदिक जड़ीबुटीओं का औषधिवन पशु-पक्षियों के लिए मुक्त अभयारण्य पशु आवास, पक्षी अभयारण्य: घासचारा संग्रह करने के लिए विशाल गोदाम (गोडाउन)