जहां को जगमगा देते हैं बहुरंगी दिये
by Bijay Jain · Published · Updated
सामान्य दीयों के अलावा आजकल बा़जार में सिरेमिक अर्थात् प्लास्टर ऑफ पेरिस के दीपक भी मिलते हैं। पारम्परिक आकार के अतिरिक्त ये अब डिजाइनर स्वरुप में भी मिलने लगे हैं। मट्टी के हों या प्लास्टर ऑफ पेरिस के, दियों का होना दीपावली का प्रमुख आकर्षण होता है, चाहे लाख बिजली के रंगीन लट्टुओं की झालरें आ जाएँ, लेकिन वो कभी भी दियों की जगह नहीं ले सकते, आज भी हमारे यहाँ मोमबत्ती और बिजली की रोशनी के साथ-साथ घरों में दिये ही सजाये जाते हैं और पूजा भी दियों से ही पूरी होती है, ये एक तरह के शुभ सूचक होते हैं।
सामान्य दियों के अलावा आजकल बा़जार में सिरेमिक अर्थात् प्लास्टर ऑफ पेरिस के दिपक भी मिलते हैं। पारम्परिक आकार के अतिरिक्त ये अब डिजाइनर स्वरुप में भी मिलने लगे हैं। आप चाहें तो उन्हें घर पर ही और सुंदर बना सकती हैं। आइए, जानें कैसे-बा़जार में मिलने वाले ऑयल पेंट के ट्यूब खरीद लीजिए और इससे मनचाही डिजाइन से दीपक की बार्डर तथा अन्य आकृतियाँ बनाइए। विभिन्न रंगों के साथ सिल्वर, कॉपर, गोल्डन तथा पर्ल शेड के कोन भी बाजार में सर्वश्रेष्ठ उपलब्ध हैं।
पूजा में रखे जाने वाले दीपक को अलग लुक देने के लिये उस पर सुंदर लेस या गोटा, जरी लगाकर उसकी बार्डर को रिच बनाइए, साथ में कुछ मोती या स्टोन भी सजाइए। रंगीन आर्टीफिशियल फूल-पत्तियों को दिपक के बाहरी हिस्से पर चिपकाइए और इसे ड्राइंग रूम में सजाइए। रंगोली के रंगों का भी उपयोग आप दिपक को सजाने में कर सकती हैं, थोड़ा-सा एधेसिव लगाकर रंग ऊपर से बुरकिए और देखिए मल्टी कलर दीपक तैयार है, तो इस प्रकार यहाँ दिये हुए तरीके अपनाकर इस दीपावली पर आपअपने घरों में दिपक कुछ नवीन तरीकों से तैयार करें, इस तरह घर की सुंदरता तो बढ़ेगी ही, साथ ही मेहमानों की
तारीफ भी आप बटोरेंगी
- राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष- भारतीय जनता युवा मोर्चा श्री अमित शाह की राजनीतिक सक्रियता और कार्यकुशलता के कारण उन्हें १९९७ में भारतीय जनता युवा मोर्चा का राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया।
- विधायक, सरखेज और नारणपुरा विधानसभा क्षेत्र विधायक के तौर पर अमित भाई ने अपने लगभग दो दशकों के कार्यकाल के दौरान राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अनेक राजनैतिक और गैर राजनैतिक पदों पर काम किया जिसकी वजह से वह लम्बे समय तक क्षेत्र से बाहर रहे। परन्तु इस व्यस्तता के बावजूद क्षेत्र के विकास कार्यों की रफ्तार में कमी नहीं आने दी और वह लगातार क्षेत्रवासियों के संपर्क में रहे।
- मंत्री, गुजरात सरकार गुजरात सरकार के मंत्री के रूप में अमित भाई को गृह, यातायात, निषेध, संसदीय कार्य, विधि और आबकारी जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गयी। जनकल्याण को प्राथमिकता देते हुए अमित भाई ने मंत्री के रूप अपनी जिम्मेदारियों को सकुशल निभाते हुए सभी विभागों में इतने अभुतपूर्व काम किये, गृह विभाग में उनके द्वारा किये गए कई कामों को गुजरात में आज तक सराहा जाता है।
ट्रस्टी श्री सोमनाथ मंदिर गुजरात : वर्ष २०१६ में अमित शाह को श्री सोमनाथ मंदिर के ट्रस्ट का ट्रस्टी बनाया गया, आदी ज्योतिर्लिंग श्री सोमनाथ महादेव मंदिर १२ पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है, प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी और लाल कृष्ण अडवाणी भी इस ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में पुन: निर्वाचित २४ जनवरी २०१६ को श्री अमित शाह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में पुन: निर्वाचित हुए, श्री अमित शाह की अध्यक्षता में भारतीय जनता पार्टी का निरंतर विस्तार हो रहा है।
प्राचीन
प्राचीन काल से भारत में दीपावली यक्ष रात्रि के रुप में मनाई जाती है, इस दिन घरों को दीपकों से सजाकर धन के देवता व रक्षक कुबेर की पूजा बहुतायत में की जाती थी, उस समय उन्हें दीपावली के आदि देवता के रुप में भी सम्मान प्राप्त था, समय परिवर्तित होता रहा और दीपावली के देवता होने का गर्व कुबेर के हाथों से जाता रहा, यह गर्व और सम्मान कालांतर में देवी लक्ष्मी को प्राप्त हुआ। कुबेर को धन का देवता तथा देवताओं के धन का कोषाध्यक्ष भी माना गया। कुबेर का स्थान वटवृक्ष बताया गया है, जिसे कल्पवृक्ष के नाम से भी जाना जाता है, ज्यादातर लोग कुबेर की ही पूजा-अर्चना किया करते थे, खजाने के द्वार शीर्ष पर कुबेर की विशाल प्रतिमाएँ स्थापित की जाती थी।
कुबेर की पशुपति कैलाशनाथ भगवान शिव के साथ भी घनिष्ठता थी। कैलाश पर्वत पर यक्षों के देवता कुबेर के नगर अलका में चैत्ररथ का सुन्दर उद्यान था, चैत्ररथ में भगवान शिव का वास है, कुबेर का जन्म भारद्वाज की पुत्री से हुआ, हजारों वर्षों तक घोर तपस्या करने के बाद उन्हें ब्रह्माजी से धन देवता व लंकापति होने का वर प्राप्त हुआ। कुबेर व रावण दोनों सौतेले भाई थे, भारत में कई स्थानों पर कुबेर का स्थान गणेश जी ने ले लिया, परन्तु अभी भी कई प्रांतों में दीपावली के दिन लक्ष्मी व कुबेर की पूजा की जाती है। खुदाई के दौरान कृषाण व गुप्त काल की कई कलात्मक मूर्तियाँ मिली हैंं,
जिनमें कुबेर के साथ उनकी पत्नी हारीती तथा कहीं लक्ष्मी दिखाई देती है, गुप्त व कृषाण काल में कुबेर को सम्पन्नता व ऐश्वर्य का प्रतीक माना गया है। कुबेर जन्म से ही कुरुप थे, ऐसा निश्चित रुप से नहीं कहा जा सकता, पहले वे सुन्दर थे, उनकी सुन्दरता का कोई सानी नहीं था। पुराण के अनुसार एक बार वे दुर्गा का सौन्दर्य देखकर ईष्र्या करने लगे, दुर्गा ने उनका घमण्ड तोड़ने के लिये उन्हें श्राप दे दिया और सुन्दर कुबेर कुरुप हो गये। कहीं-कहीं कुबेर को कुबड़ा भी दर्शाया गया है शायद इसलिए, क्योंकि उन पर धन का भार बहुत अधिक था, भारत में ही नहीं, विदेशों में भी कुबेर को सम्मान प्राप्त है एवं उनकी पूजा की जाती है।
तिब्बतवासी कुबेर को धन-वैभव का देवता व उत्तर का स्वामी मानते हैं। चीन में कुबेर की गणना आठ लोकपालों में की जाती है, उन्हें धरती, धन व मनुष्यों का रक्षक बताया गया है। बौद्ध-धर्म में कुबेर को जंजाल बताया गया है। कुबेर दीपावली के देवता होने के साथ-साथ यक्षों, मनुष्यों तथा दैत्यों के भी देवता स्वीकारे गये हैं। महायान व व्रजयान धर्म सम्प्रदायों में कुबेर को बहुत सम्मान प्राप्त है, ये बात अलग है कि आज हम उन्हें दीपावली के देवता के रुप में भूल चुके हैं और लक्ष्मी को धन की देवी मान उसकी पूजा-अर्चना कर रहे हैं।
दीपावली में मिलावटी मिठाइयों से बचें
- चाँदी का वर्क : मिठाई पर लगे वर्क को जला कर देखें, अगर पूरी तरह जल जाए और थोड़ी-सी रा़ख बचे तो चाँदी का वर्क है, लेकिन अगर जलाने पर ग्रे कलर की रा़ख बचती है, तो उसमें एल्यूमीनियम का वर्क चढ़ा है।
- घी की जाँच : घी की जाँच के लिए एक चम्मच घी में एक चम्मच ते़ जाब और एक चुटकी चीनी डालकर इन तीनों को मिलाएँ, एक मिनट बाद अगर निचली परत पर गंदला-सा पदार्थ तैरने लगे तो घी में मिलावट की गई है समझें।मिठाई के कारोबार से जुड़े सभी व्यवसायी दीपावली के समय लोगों का दिवाला निकालने पर उतारु रहते हैं, मिठाई के नाम पर वे आम आदमी के पैसों को लूटने के साथ उन्हें अस्वस्थ भी कर देते हैं, इसमें हो रही मिलावट के दुष्प्रभाव आपके स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं, आये दिन समाचार-पत्रों और न्यूज चैनलों में आ रही खाद्य पदार्थों में मिलावट की खबरों को अगर आप नजरअंदाज कर रहे हों तो सावधान हो जाएँ, क्योंकि दीपावली के ऩजदीक आते ही मिठाईयों में मिलावट का धंधा जोर-शोर से शुरु हो जाता है।
- मीठा जहर बनती मिठाइयाँ : मिठाई ऐसी ची़ज है, जिसका जिक्र होते ही मुँह में पानी आ जाता है, लेकिन अगर यही मिठाई आपके लिए मीठा जहर बन जाए तो आप क्या करेंगे? देश में मिलावट का धंधा जोर-शोर से चल रहा है और जब बात दीपावली के त्योहार की आती है, तो अधिक मुनाफे के लालच में दुकानदार मिठाइयों में मिलावट को बढ़ावा देकर आम जनता की सेहत के साथ खिलवाड़ करते हैं।
- मिठाइयों में किस तरह की मिलावट हो सकती है : दूध और दूध से बने उत्पादों जैसे खोया, पनीर में मिलावट की जाती है। बर्फी, गुलाब जामुन, पेड़ा, रसगुल्ले आदि में खोया इस्तेमाल होता है, ऐसे में माँग की पूर्ति के लिए और मुनापेâ के लिए दुकानदार मिलावट करते हैं।
- दूध में मिलावट : दूध में पानी, स्टार्च, सर्फ, यूरिया आदि की मिलावट की जाती है, इसी सिथेटिक दूध से सिंथेटिक मावा तैयार किया जाता है, जिससे तरह-तरह की मिठाइयाँ बनाई जाती हैं।
- मिठाइयों में मिलाया जाने वाला कलर : मिठाइयाँ बनाने के लिए घटिया क्वालिटी के रंगों तथा कलर का इस्तेमाल किया जाता है।
- मिठाइयों पर चढ़ने वाले वरक में मिलावट : मिठाइयों पर चाँदी के वरक के स्थान पर एल्यूमीनियम, टिन और जिंक धातुओं के वरक चढ़ाये जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।