पिजंरापोल गौशाला
by Bijay Jain · Published · Updated
- पश्चिमी राजस्थान की सबसे बड़ी व सुव्यवस्थित गौशाला।
- ज्यादातर गोवंश अंधे, लूले, लंगड़े, बीमार व असहाय।
- दुर्घटनाग्रस्त व गंभीर बीमार गोवंश के लिए चौबीसों घण्टे इलाज की सुविधा।
- पशु चिकित्सालय एवं चिकित्सकों की समुचित व्यवस्था।
- २४ घण्टे एम्बुलेन्स सुविधा।
- कबुतरों को प्रतिदिन चुग्गा व्यवस्था।
- गौवंश के साथ-साथ बकरों व घेटों का भी लालन-पालन।
- ग्वालों के लिए समुचित आवास व्यवस्था।
- गौपालकों के बच्चों के लिए सरकारी प्राथमिक विद्यालय।
- स्वच्छता पर विशेष ध्यान।
- दुर्घटनाग्रस्त व बीमार गोवंश की विशेष सार-संभाल की व्यवस्था।
- सी.सी. टीवी कैमरों की व्यवस्था।
- लगभग ३ करोड़ रू. प्रतिवर्ष का खर्चा।
- इस गौशाला को दिया गया दान आयकर में छूट योग्य।
श्री पिंजरापोल गौशाला, पाली : पिंजरापोल गौशाला पाली लगभग १५० वर्षों से भी अधिक समय से गोवंश की सेवा में कार्यरत है, तत्कालीन जोधपुर दरबार से दान में प्राप्त जमीन पर यह गौशाला वर्तमान में निम्न स्थानों पर संचालित की जा रही है:-
१. धर्मपुरा बेरी (इण्डस्ट्रीयल एरिया, बागड़िया रोड) : पाली शहर के उत्तर दिशा में ७ कि.मी. दूर इस स्थल पर गौशाला के समस्त गोवंश का लालनपालन किया जाता है, यहां एक पशु चिकित्सालय भी है, जहां एम्बुलेन्स द्वारा लाए गए एक्सीडेन्टल व बीमार गोवंश का समुचित इलाज किया जाता है, इलाज के पश्चात् उन पशुओं को कोई भी ले जाने को तैयार नहीं होता, अत: उन्हें जीवन पर्यन्त गौशाला में ही रखा जाता है, ऐसे एक्सीडेन्टल पशु गौशाला में प्रतिदिन ५-७ की संख्या में आ रहे हैं।
२. खाती खेड़ा जोड़ : पाली शहर से दक्षिण दिशा में २५ कि.मी. दूर इस स्थल पर गोवंश के लिए चारा उत्पादन किया जाता है, अत: गौशाला के गोवंश को समय-समय पर यहां लाकर हरा चरा खिलाया जाता है, इस स्थान पर अमर बकरों एवं घेटों का भी लालन-पालन किया जाता है, ये ऐसे बकरे है जो त्यौहारों पर और कत्लखानों में कटने के लिए जाते है, जिन्हें दानदाताओं के सहयोग से खरीदकर यहां लाया जाता है और जीवन पर्यन्त यहां रखा जाता है, इस वर्ष भी लगभग १०० बकरे यहां खरीदकर लाये गये है।
३. केरिया दरवाजा : पाली शहर के बीचो-बीच केरिया दरवाजा क्षेत्र में स्थित गौशाला की चार दिवारी की असामाजिक तत्वों ने तोड़-फोड़ कर दी थी, इस चार दिवारी का पुन: निर्माण करवा दिया है, अब यहां गौशाला के अंधे, लूले, लंगड़े पशुओं को रखा जा रहा है, इस हेतु आवश्यक घास गोदाम, ठाण, बाड़े और कमरे आदि का भी पुन: निर्माण करवाया गया है, निकट भविष्य में यहा प्रात:काल भ्रमण हेतु ट्रेक, आकर्षक मंदिर, पंचगव्य चिकित्सालय भी बनवाना प्रस्तावित है, जिससे पाली की गौप्रेमी जनता को गौसेवा, गोवंश को चारा अर्पण, प्रात: भ्रमण, मंदिर दर्शन एवं पंचगव्य चिकित्सा आदि का लाभ एक ही जगह पर उपलब्ध करवाया जा सके।