भारत की गौशालायें
by Bijay Jain · Published · Updated
भारत की गौशालायें
आन्ध्र प्रदेश के गुण्टुर की एक गौशाला, गाय पालन के लिए प्रयुक्त घर गौशाला कहलाता है। हिन्दू धर्म में गाय को माता माना जाता है और उसकी हर तरह से सेवा एवं रक्षा करना पुण्य कर्म माना जाता है। भारत में बहुत सी गौशालाऐं हैं इन्हें संचालित करने के लिए सरकार भी धन देती है तथा गऊ प्रेमी भी दान करते हैं कुछ धनी व्यक्ति भी गौशाला चलाते हैं।
पंजाब गौशाला महासंघ: पंजाब गौशाला महासंघ भारत के पंजाब राज्य का एक संगठन है जो पंजाब की ४०४ गौशालाओं का संचालन करता है, यह गायों के कल्याण के लिए, उनकी चिकित्सा के लिए तथा उनके अच्छे रखरखाव के लिए काम करता है, यह एक अशासकीय संगठन है जिसके अध्यक्ष रोमेश गुप्ता हैं।
योग ग्राम: योग ग्राम का उद्घाटन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री बी.सी.खंडूरी द्वारा ८ जून २००८ को किया गया था। योग ग्राम हरिद्वार में स्थित है और एक ऐसा गाँव है जहाँ शुद्ध प्राकृतिक माहौल है। यहाँ नशामुक्त समाज है और जैविक खेती होती है जो सौ प्रतिशत विष-मुक्त है। योग ग्राम की संकल्पना योग गुरु बाबा रामदेव और उनके सहयोगी आचार्या बालकृष्ण की है।
गौ अभयारण्य अनुसन्धान एवं उत्पादन केन्द्र सालरिया: गौ अभयारण्य अनुसन्धान एवं उत्पादन केन्द्र मध्य प्रदेश के आगर-मालवा जिले के सालरिया ग्राम में स्थित है, यह भारत का प्रथम गौ-अभयारण्य है, यह अभयारण्य कुल ४७२ हेक्टेयर क्षेत्र में बना है। यह सितम्बर २०१७ में उद्घाटित हुआ था, इस अभयारण्य में गायों की नस्लों से लेकर उनके दूध, गोबर, मूत्र तक पर अनुसन्धान होगा, इसमें ६ हजार गायें रखने की व्यवस्था है, अभी ४ हजार से अधिक गाएँ हैं। गो-अभयारण्य बनाने के पीछे गोवंश का संरक्षण, भारतीय गोवंशीय नस्लों का संवर्धन, पंचगव्य से निर्मित वस्तुओं के शोध व उनका उत्पादन, जैविक खाद व कीट नियंत्रक आदि पर शोध व उत्पादन, चारागाह विकास व अनुसंधान केंद्र का उद्देश्य है। अभयारण्य में आवारा, बीमार, दूध नहीं देने वाले आदि मवेशी भी रखे जाएंगे और उनका संरक्षण किया जाएगा। गोबर से बायोगैस, गोमूत्र से दवाएं बनाई जाएंगी, वहीं संकर (हाईब्रीड) नस्लों तैयार होंगी, वर्मी कम्पोस्ट यूनिट से केंचुआ खाद तैयार की जाएगी।
गोरक्षकों द्वारा हिंसा: भारत में गोरक्षकों द्वारा गुंडागर्दी एक ज्वलंत सामजिक समस्या है, पिछले कुछ वर्षों में गोरक्षकों ने कई निर्दाेष लोगों की हत्या कर दी है २०१६ में गोरक्षकों द्वारा निर्दाेष दलितों की पिटाई के बाद माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गौरक्षकों द्वारा की गई हिंसा की आलोचना की, परन्तु इसके बाद भी गोरक्षकों ने अपने उपद्रव को जारी रखा है।