‘डिब्रूगढ़’ चाय के बागानों की नगरी, भारत का एक राज्य आसाम का प्राचीनतम शहर ‘डिब्रूगढ़’ तो हरियाली के लिए विख्यात है ही, सबसे बड़ी बात ‘डिब्रूगढ़’ में रहने वाले बड़े ही सौम्य प्रकृति के निवासी भी हैं। धर्म, समाज व देश भारत के प्रति, जहां आसाम व अरूणाचल की मिली-जुली प्रतिभाएं भी हैं, पुरातन मंदिर हैं तो शिक्षालय व औषधालय भी हैं, ‘डिब्रूगढ़’ की माटी से निकलकर कई ऐसे निवासी जिन्होंने ‘भारत’ के नाम का सम्मान भी बढ़ाया है। इतिहास के गर्भ में जाएं तो पढ़ने को मिलता है कि जब ब्रह्मपुत्र नद ने अपना आक्रमक रूप दिखाया तो शहर व शहर निवासियों ने अपनी कर्त्तव्यपरायणता दिखाने में पीछे नहीं रहे और अपनी सेवार्थ भावना के साथ अपनी जान गंवाने में भी पीछे नही रहे।
बहुत कुछ लिखा जा सकता है और प्रस्तुत अंक में लिखा भी गया कि किस प्रकार अंग्रेजों का भी प्यारा शहर था ‘डिब्रूगढ़’, जहां रहकर मारवाड़ी भाइयों ने ‘डिब्रूगढ़’ की माटी को समृद्ध ही नहीं किया, प्राकृतिक छटा का लाभ भी उठाया तभी तो मैंने कहा कि ‘चलें डिब्रूगढ़’…
‘मैं भारत हूँ’ विश्वस्तरीय पत्रिका के पाठक आज देश के चहूँ ओर पैâले हुए हैं और अपनी कर्त्तव्य परायणता के साथ मैं उन्हें हर अंक में कुछ ना कुछ नया देने का प्रयास करता आया हूँ और करता भी रहूँगा।
‘मैं भारत हूँ’ का आगामी अंक ‘जोरहाट’ आसाम व ‘डिमापुर’ नागालैण्ड के इतिहास के साथ वर्तमान की झलकियों के साथ होगा। ‘मैं भारत हूँ’ प्रबुद्ध पाठकों से निवेदन है कि आपके पास कुछ विशेष बातें हों, इतिहास की व वर्तमान के विकास की जानकारी हो तो कृपया भिजवायें, ताकि आगामी अंकों को और भी पठनीय बनाया जा सके।
भारत को केवल ‘भारत’ ही बोला जाए INDIA नहीं, अभियान परिकाष्ठा पर है, बहुत ही जल्द कुछ नया जानने को मिलेगा, आप सबको…