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सिंधी अनमोल रतन

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अप्रैल २०२३

प्रकृति की धरोहर कछार की
राजधानी है ‘सिलचर’
‘सिलचर’ यानी सिल व चर, पहाड़ों की बस्ती, तभी तो पहाड़ों के बीच एक समतल भाग में बसा हुआ है ‘सिलचर’ जिसके चारों ओर केवल पहाड़ ही पहाड़ हैं और उन पहाड़ों के बीच पर निर्मित किया गया है, महामानवों के द्वारा सैकड़ों की संख्या में चाय के बागान…
कहते हैं जहां-जहां मानव की पहुंच हुई है वह क्षेत्र समृद्ध होता चला गया है, उसी प्रकार एक समय का ‘सिलचर’ व आज के ‘सिलचर’ में बहुत ही अंतर आ गया है, श्रृंखलाबद्ध स्वरूप ‘सिलचर’ विभिन्न स्वरूपों से सजाया गया है तभी तो आज ‘सिलचर’ में वह सब कुछ है जो मानव को अपने जीवन में जरूरत पड़ती है, तभी तो ‘सिलचर’ की आबादी भी पहले के बनिस्पत समृद्ध होती चली गई और ‘सिलचर’ निवासी-प्रवासी भी समृद्ध होते चले गए, साथ ही भारत के विभिन्न राज्यों में
बसे हुए प्रकृति के प्रेमी ‘सिलचर’ को अपना निवास स्थल बना लिया और मिलकर ‘सिलचर’ को भी समृद्ध बनाया। ‘सिलचर’ के अगल-बगल यानी भारत के कई राज्य यानी कि ‘त्रिपुरा, मिजोरम, मणिपुर, मेघालय’ यहां तक की बांग्लादेश के निवासियों का भी प्रिय स्थल बन गया ‘सिलचर’। मुझे बहुत ही खुशी है कि ‘सिलचर’ वासियों ने मुझे ‘सिलचर’ का इतिहास लिखने व प्रस्तुत करने का मौका दिया, प्रकृति की खुमार से भरा ‘सिलचर’ के इतिहास को पढ़, जबकि मैं भारत का एक
राज्य महाराष्ट्र की राजधानी ‘मुंबई’, जो की भारत की आर्थिक राजधानी भी कही जाती है, रहता हूं पर प्रकृति की धरोहर कछार की बनी राजधानी ‘सिलचर’ का इतिहास पढ़ मन प्रफुल्लित हो गया, तभी तो ‘सिलचर’ का ऐतिहासिक अंक प्रबुद्ध पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर पाया।
विश्वस्तरीय ‘मैं भारत हूँ’ पत्रिका का आगामी अंक आसाम के ही जिले व शहर यानी ‘तिनसुकिया’, ‘डिब्रूगढ़’, ‘डिगबोई’, ‘दूमदूमा’ या झारखंड की राजधानी ‘रांची’ के इतिहास से भरपूर होगा, बस मुझे अपने प्रिय पाठकों का साथ, सहयोग और मार्गदर्शन चाहिए।
‘भारत’ को केवल ‘भारत’ ही बोला जाए’ अभियान आज चरम सीमा की ओर अग्रसर है। ‘भारत’ के महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री के साथ विभिन्न केंद्रीय मंत्रालय, सांसद, भारत के सभी राज्यों के मुख्यमंत्री,अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर की सामाजिक संस्थाओं से निवेदन भर कर चुका हूं कि १४२ करोड़ भारतीयों का देश प्राचीनतम ‘भारत’ से जुड़े गुलामी का नाम इंडिया को विलुप्त करवाया जाए ताकि माँ भारती विश्व को कह सके कि ‘मैं भारत हूँ’।