‘हिंदी’ को संयुक्त राष्ट्र की भाषा बनानी है
by Bijay Jain · Published · Updated
वरिष्ठ पत्रकार व सम्पादक बिजय कुमार जैन ने पूछा कि भारत की आजादी का ७२ वॉ साल बीत रहा है, आज तक ‘हिंदी’ को राष्ट्र की भाषा क्यों नहीं निश्चित की गयी, यदि कोई प्रांतिय भाषायी द्वारा विरोध होता है तो उसे पहले सम्मान दिया जाना चाहिए, क्योंकि जो बच्चा जन्म लेता है उसे सर्वप्रथम मॉ की भाषा ही समझ में आती है, बच्चे की सोच मजबूत होती है, विज्ञान भी यही कहता है इसलिए मेरा नारा है “पहले मातृ भाषा-फिर राष्ट्र भाषा” भारत के हर राज्यों की प्रांतीय भाषा को राज्य भाषा का द़र्जा देकर ‘हिंदी’ को राष्ट्रभाषा घोषित कर देनी चाहिए। मॉरीशस के कार्यवाहक राष्ट्रपति श्री परम शिवम् पिल्लै वैयापुरी ने कहा कि ‘हिंदी’ की सेवा करने वाले प्रधानमंत्री के पद तक को प्राप्त कर सकते हैं, भारत के साथ विदेशों से भी पधारे विद्वानों ने बिजय कुमार जैन के राष्ट्रहित कार्यों को सराहा ही नहीं यह भी कहा कि आपको सफलता जरूर मिलेगी, ‘हिंदी’ राष्ट्रभाषा जरूर व जल्द ही घोषित होगी, बिजय कुमार जैन ने “हिंदी बने राष्ट्रभाषा” के प्रपत्र को सैकड़ों की संख्या में विश्व से पधारे ‘हिंदी सेवियों के मध्य वितरित किया।
पोर्ट लुई (मॉरीशस): संस्कृति और भाषा को बचाने परजोर देते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि अलग-अलग देशों में ‘हिन्दी’ को बचाने की जिम्मेदारी भारत ने ली है। ११वें विश्व हिन्दी सम्मेलन के दौरान अपने उद्घाटन संबोधन में सुषमा स्वराज ने कहा कि भाषा और संस्कृति एक दूसरे से जुड़ी है, ऐसे में जब भाषा बिलुप्त होने लगती है तब संस्कृति के लोप का बीज उसी समय रख दिया जाता है, उन्होंने कहा कि जरूरत है,कि भाषा को बचाया जाए, उसे आगे बढ़ाया जाए, साथ ही भाषा की शुद्धता को बचाये रखा जाए। विदेश मंत्री ने कहा कि हिन्दी भाषा को बचाने, बढ़ाने और उसके संवर्धन के बारे में कई देशों में चिंताएं सामने आई है, ‘ऐसे में इन देशों में लुप्त हो रही इस भाषा को बचाने की जिम्मेदारी भारत की है’ उन्होंने कहा कि इस बार विश्व हिन्दी सम्मेलन का प्रतीक चिन्ह ‘मोर के साथ डोडो’ है, पिछली बार मोर था, इस बार इसमें डोडो को भी जोड़ दिया गया है, डोडो बिलुप्त होती हिन्दी का प्रतीक है और भारत का मोर आयेगा और उसे बचायेगा, ‘हिंदी’ को संयुक्त राष्ट्रभाषा में द़र्ज करवायेगा। मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रवीण कुमार जगन्नाथ ने ११वें विश्व हिन्दी सम्मेलन के अवसर पर दो डाक टिकट जारी किये, एक पर भारत एवं मॉरीशस के राष्ट्रीय ध्वज और दूसरे पर दोनों देशों के राष्ट्रीय पक्षी मोर और डोडो की तस्वीर है। मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने भारत के सहयोग से बने साइबर टावर को अब अटल बिहारी वाजपेयी टावर नाम देने की घोषणा की। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सुषमा स्वराज ने कहा कि इस सम्मेलन के माध्यम से विश्व के हिन्दी प्रेमियों को अटल जी को श्रद्धांजलि अर्पित करने का मौका मिला, सुषमा जी ने कहा कि पिछले विश्व ‘हिन्दी’ सम्मेलनों में भाषा और साहित्य पर जोर होता था, इस बार भाषा के साथ संस्कृति को जोड़ा गया है, ऐसे में एक विषय ‘हिन्दी, विश्व और भारतीय संस्कृति’ रखा गया है, उन्होंने कहा कि गिरमिटिया देशों में उन्होंने भाषा और संस्कृति के प्रति जागरूकता देखी है, इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने उनसे कहा कि उन्हें ज्यादा ‘हिन्दी’ नहीं आती है लेकिन भाषा को न जानने की निराशा और संस्कृति गया है, इसके अलावा एक अन्य विषय ‘हिन्दी शिक्षण और भारतीय संस्कृति’ है। उन्होंने कहा कि ‘विश्व हिन्दी सम्मेलन’ के दौरान पहले सत्र होता था, चर्चाएं होती थी, अनुशंसाएं होती थी लेकिन अनुवर्ती कार्य नहीं देखा गया, पिछले छह महीने के परिश्रम से पिछले सम्मेलन की अनुशंसाओं और अनुवर्ती कार्यों का संकलन करने का कार्य किया गया है, यह केवल मौखिक रूप में नहीं बल्कि लिखित रूप में पुस्तक के रूप में है जिसका शीर्षक ‘भोपाल से मॉरीशस’, जिसमें एक-एक अनुशंसा पर की गई कार्रवाई का वर्णन है। ११वां विश्व हिन्दी सम्मेलन शुरू होने से पहले सभागार में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सम्मान में दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गयी। सम्मेलन में गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी विशिष्ठ अतिथि रहे, सम्मेलन में विदेश राज्य मंत्री वी. के. सिंह, गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू, विदेश राज्य मंत्री एम. जे. अकबर, मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह आदि ने हिस्सा लिया। मॉरीशस की शिक्षा मंत्री लीला देवी दुकन लक्षुमन ने सम्मेलन में आए अतिथियों का स्वागत किया।