Category: सितम्बर-२०१८

हिंदी की रोटी खाने वाले अब तो करो विचार 0

हिंदी की रोटी खाने वाले अब तो करो विचार

मेरा मर्म- मेरा दर्द हिंदी की रोटी खाने वाले हो जाओ सावधानजरूर करेगा ‘मेरा भारत’ गद्दारों का सम्मानआज भारत के कई कथित संस्थाएं व व्यक्तित्व‘हिंदी’ की गाथा गाते हैं, कहते है ‘हिंदी’ बिना भारत...

राष्ट्रीय चेतना व अस्मिता की प्रतीक हिंदी राष्ट्रभाषा बनने की ओर अग्रसर 0

राष्ट्रीय चेतना व अस्मिता की प्रतीक हिंदी राष्ट्रभाषा बनने की ओर अग्रसर

१) हिन्दी विश्वभाषा की ओर अग्रसर।२) १४० देशों में १२० करोड़ लोग द्वारा बोली जाती है हिन्दी।३) कई राष्ट्र, बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ व आम-जनों ने भी हिन्दी अपनाने की है पहल।४) भारतीय संस्कृति की आधार...

हम स्वयं कहाँ हैं- हिन्द के हिन्दी-महासागर में -बालकवि बैरागी 0

हम स्वयं कहाँ हैं- हिन्द के हिन्दी-महासागर में -बालकवि बैरागी

हम भारतवासी भाग्यशाली हैं कि हमारे पास अरब सागर, बंगाल सागर और हिन्द महासागर जैसे रत्नों से भरपूर लहराते हुए सागर और महासागर हैं, हमारा विशेष सौभाग्य यह भी है कि हमारे पास अपने...

मोदी के नेतृत्व में नई ऊँचाइयों पर पहुॅचा भारत 0

मोदी के नेतृत्व में नई ऊँचाइयों पर पहुॅचा भारत

कुछ विपक्षी दलों ने बिना जाने-समझे भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मजाक उड़ाना शुरू कर दिया था, मोदी ने अपनी अमेरिका नीति में बिना किसी दुराग्रह के सिर्फ एक बात का...

आधुनिक हिंदी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर मुंशी प्रेमचंद- प्रो. मिश्री लाल मांडोत 0

आधुनिक हिंदी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर मुंशी प्रेमचंद- प्रो. मिश्री लाल मांडोत

हिंदी बनें राष्ट्रभाषा – बिजय कुमार जैन वरिष्ठ पत्रकार व सम्पादक ३१ जुलाई, १८८० को वाराणसी के निकट लमही नामक गाँव में जन्मे धनपतराय, जिन्हें ‘मुशी प्रेमचंद’ के नाम से जाना जाता है, वे...

‘हिंदी’ को संयुक्त राष्ट्र की भाषा बनानी है 0

‘हिंदी’ को संयुक्त राष्ट्र की भाषा बनानी है

वरिष्ठ पत्रकार व सम्पादक बिजय कुमार जैन ने पूछा कि भारत की आजादी का ७२ वॉ साल बीत रहा है, आज तक ‘हिंदी’ को राष्ट्र की भाषा क्यों नहीं निश्चित की गयी, यदि कोई...

समाज में उजाले कम क्यों हो रहे हैं 0

समाज में उजाले कम क्यों हो रहे हैं

स्वार्थ चेतना अनेक बुराइयां का आमंत्रण है, क्योंकि व्यक्ति सिर्फ व्यक्ति नहीं है, वह परिवार, समाज और देश के निजी दायित्वों से जुड़ा है। अपने लिए जीने का अर्थ है अपने सुख की तलाश...

भ्रष्टाचार मुक्त भारत कैसे बने ? 0

भ्रष्टाचार मुक्त भारत कैसे बने ?

भ्रष्ट आचरण वाले जनप्रतिनिधियों के बीच भ्रष्टाचार मुक्त भारत कैसे बन सकता है इस प्रश्न का जवाब क्या वर्तमान भाजपा सरकार के पास है जो कांग्रेस मुक्त भारत का सपना मन में सजोए बैठी...

इण्डिया गेट बनाम ‘भारत द्वार’ निवेदित 0

इण्डिया गेट बनाम ‘भारत द्वार’ निवेदित

वरिष्ठ पत्रकार व सम्पादक बिजय कुमार जैन नेभारत सरकार से निवेदन किया है कि ‘इण्डिया गेट’जैसे ऐतिहासिक स्थल का नाम ‘भारत द्वार’ कियाजाये ताकि भारत के १२५ करोड़ लोगों को स्मरणरहे कि हमारे देश...

भारतीय भाषायी द्वारा सांस्कृतिक पुनरुत्थान​ 0

भारतीय भाषायी द्वारा सांस्कृतिक पुनरुत्थान​

‘India Gate’ का नाम ‘भारत द्वार’ लिखवायें भारतीय जनसंघ का पहला राष्ट्रीय वार्षिक अधिवेशन, कानपुर में २९ से ३१ दिसंबर, १९५२ को हुआ था, इस अधिवेशन की अध्यक्षता भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ....