हिंदी: राष्ट्रीय चेतना की पहचान
राष्ट्रीय चेतना व अस्मिता की प्रतीक हिंदी राष्ट्रभाषा बनने की ओर अग्रसर
१) हिन्दी विश्वभाषा की ओर अग्रसर।
२) १४० देशों में १२० करोड़ लोग द्वारा बोली जाती है हिन्दी।
३) कई राष्ट्र, बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ व आम-जनों ने भी हिन्दी अपनाने की है पहल।
४) भारतीय संस्कृति की आधार है हिन्दी, इसमें रचा बसा है भारत का वैभव।
५) मातृभाषा के रूप में बढ़ती धमक- हिन्दी भाषिओं की संख्या २५ फीसदी बढ़ी- तमिलनाडू में २ गुणा इजाफा/सोशल मीडिया, कम्प्युटर तथा इन्टरनेट में भी हिन्दी की उपयोगिता बढ़ी।
डिजिटल वल्र्ड में तीन भाषाओं का दबदबा अंग्रेजी, चायनीज-मंदारिन तथा हिंदी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी व गुगल के चेअरमेन भी यहीं कहते हैं।
१. हिंदी एक बड़ा बाजार: बदलती दुनिया में और नये सोफ्टवेअर तैयार करने में हिंदी की एक अहम भूमिका होगी। हिंदी का इ-महाशब्दकोष तैयार हो रहा है, युनीकोड में भी हिंदी की भूमिका बढ़ रही है।
हाल ही में किये गये एक शोध अध्ययन के अनुसार विश्व की १८ प्रतिशत जनसंख्या हिन्दी भाषी है तथा भारत की कुल जनसंख्या ७९.४३ प्रतिशत हिन्दी भाषी है, हिन्दी विश्व की सबसे अधिक बोली व समझने वाली भाषा है जो लोकप्रिय भाषा है। उदारीकरण तथा सार्वभौमिकरण के चलते हिन्दी की स्वीकार्यता बढ़ी है। सोशल मीडीया तथा इंटरनेट व टी.वी. चेनलों ने भी हिन्दी की लोकप्रियता को प्रोत्साहित किया है, हिन्दी फिल्में विश्व भर में पसंद की जा रही है। मॉरीशस, फिजी, गुयाना, सूरीनाम, ट्रिन्डिड, टोबेगो आदि देशो की राजभाषा हिंदी है तथा अन्य देशों में हिंदी का तेजी से विस्तार हो रहा है। ३३ देशों के १२७ विश्व विद्यालय स्वेच्छा से हिंदी भाषा को अपना रहे हैं।
२. विश्व हिन्दी सम्मेलनों का सिंहावलोकन: हर ३ वर्षों के अंतराल पर मनाये जानेवाला विश्व हिंदी सम्मेलन विश्व के विभिन्न भागों में समय-समय पर मनाया जाता रहा है जिसमें विश्वभर से लोग भाग लेते हैं। हाल ही में २०१८ मॉरीशस में मनाया गया सम्मेलन अभूतपूर्व था, इन सम्मेलनों से हिन्दी के विकास को, राष्ट्रभाषा मान्यता को गति मिली है।
३. : हिंदी का महत्व :
‘‘राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है’’ – महात्मा गांधी
‘‘राष्ट्रभाषा का प्रचार करना मैं राष्ट्रीयता का एक अंग मानता हूँ।’’ – डा. राजेन्द्र प्रसाद
‘‘हिन्दी अपने गुणों से देश की राष्ट्रभाषा हैं।’’ – लाल बहादुर शास्री
‘‘हिन्दी द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता हैं’’ – महर्षि दयानंद सरस्वती
‘‘हिंदी अपनी सरलता, व्यापकता तथा क्षमता के कारण सारे देश की भाषा हैं।’’ -नेताजी सुभाषचन्द्र बोस
‘‘राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी हमारे देश की एकता में सबसे अधिक सहायक सिद्ध होगी, इसमें दो राय नहीं।’’ – जवाहर लाल नेहरू
‘‘हिन्दी हमारे राष्ट्र की अभिव्यक्ति की सरलतम स्त्रोत हैं।’’ – सुमित्रानंदन पंत
‘‘भारत की सब प्रांतीय बोलियाँ अपने घर में रानी बन कर रहें… और आधुनिक भाषाओं के हार की मध्यमणि हिंदी भारत-भारती होकर विराजती रहे।’’ – गुरूदेव रवीन्द्रनाथ ठाकूर
‘‘अपनी बात को इस देश के आखिरी व्यक्ति तक पहुँचाने का सरलतम मार्ग हैं, हिंदी, क्योंकि हिन्दी भारत के जन-सामान्य की आत्मा में बसती हैं।’’ – आचार्य केशवचंद्र सेन (स्वतंत्रता सेनानी)
‘‘हिन्दी आम आदमी की भाषा के रूप में देश की एकता का सूत्र है, सरकार की योजनाओं का लाभ आम आदमी तक पहुँचाने में हिंदी का विशेष योगदान है।’’ – पुर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी
‘‘भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी घोषित करवा सकूं, मेरा जीवन सफल होगा।’’ – बिजय कुमार जैन ‘‘हिंदी सेवी’’ वरिष्ठ पत्रकार व सम्पादक
४. : हिंदी की विशेषताएँ एवं शक्ति :
१. संसार की उन्नत भाषाओं में हिंदी सबसे अधिक व्यवस्थित भाषा है।
२. हिंदी सबसे अधिक सरल भाषा और सबसे अधिक लचीली भाषा है।
३. हिंदी एक मात्र ऐसी भाषा है जिसके अधिकतर नियम अपवादविहीन है।
४. हिंदी सच्चे अर्थों में विश्व भाषा बनने की पूर्ण अधिकारी है।
५. ‘हिन्दी’ लिखने के लिये प्रयुक्त देवनागरी लिपी अत्यन्त वैज्ञानिक है।
६. हिन्दी को शब्द संपदा एवं नवीन शब्द रचना सामथ्र्य विरासत में मिली है।
७. ‘हिंदी’ देशी भाषाओं एवं अपनी बोलियों आदि से शब्द लेने में संकोच नहीं करती।
८. अंग्रेजी के मूल शब्द १०,००० है, जबकि हिन्दी के मूल शब्दों की संख्या ढाई लाख से अधिक है।
९. हिन्दी बोलने एवं समझने वाली जनता १३० करोड़ से अधिक है।
१०. हिन्दी का साहित्य सभी दृष्टियों से समृद्ध है।
११. हिन्दी आम जनता से जुड़ी भाषा है तथा आम जनता हिन्दी से जुड़ी हुई है।
१२. हिन्दी स्वतंत्रता-संग्राम की वाहिका और वर्तमान में देशप्रेम का अमूर्त वाहन हैं।
१३. हिन्दी को राष्ट्रभाषा न बनने का आंदोलन अहिन्दी भाषियों ने प्रारम्भ किया, वहां भी हिंदी काफी बोली व समझी जाती है।
१४. हिंदी के विकास में राजाश्रय का कोई स्थान नहीं है, इसके विपरीत, हिन्दी का सबसे तेज विकास उस दौर में हुआ जब हिन्दी, अंग्रेजी-शासन का मुखर विरोध कर रही थी।
१५. हिन्दी के विकास में पहले साधु-संत एवं धार्मिक नेताओं का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।
१६. बंबईया फिल्मों और इलेक्ट्रानिक मिडिया के कारण हिन्दी समझने-बोलनें वालों की संख्या में बहुत अधिक वृद्धि हुई है।
१७. पाकिस्तान का पहला राष्ट्रगीत हिन्दी में था।
अपनी भाषा माँ समान होती है जिसमें हम सहज व सरल होते हैं तथा उसे आत्मसात कर अपनी दैंनिक जीवन शैली में अपना सकते है, यह भारतीय संस्कृति, जीवन मूल्य, परंपरा, आदर्श, संस्कार, शिष्टाचार, अचार-व्यवहार की पहचान है।
आईए हम सभी मिलकर एकजूट होकर हिन्दी को राष्ट्रभाषा व संयुक्त राष्ट्र संघ की अधिकृत भाषा बनाने का प्रयत्न करें, सहयोग करें, अभिमान करें, विश्व में भारत ही एक ऐसा देश है जिसकी राष्ट्रभाषा नहीं है।
- अपनी भाषा अपना देश, देते हैं गौरव का संदेश।
- हिन्दी के हित की शान, उसमें बसती सबकी जान।
- भारत माँ के भाल की बिन्दी, जन-मन की भाषा है हिन्दी।
जय हिन्द की राष्ट्रभाषा बनें हिन्दी
– श्री विश्वशांति टेकड़ीवाल परिवार