पश्चिम भारत सनाढय गौड़ सभा मुंबई की स्थापना
by Bijay Jain · Published · Updated
हमारी संस्था सन् १९७८ में श्रीबंशीधर पंडया, मधुरा प्रसाद, रामेश्वर दयाल, वृजेन्द्र जी, रामप्रसाद, श्री विश्वनाथ (पंचम पुरीवाले) श्री डा वल्लभदास तिवारी, श्री हरीशचंद्र मैन गुरियाजी एवम अन्य बुद्धजीनाओं सदस्यों के अथक प्रयास से शुरू हुई। संस्था ने अपना खुद का भवन सन् १९९५ में श्री झाऊलाल जी, श्री धर्मजी, श्री अनोखे लाल, श्री जगदीश प्रसादजी अध्यक्ष श्री सुरेद्रजी, श्री त्रिलोक चंदजी, श्री रामेश्वर दयालजी एव अन्य पदाधिकारिओं एवं दान दाताओं की मदत से घरटन पाडा, दहिसर (पूर्व) में लिया।
हमारी संस्था का मुख्य उद्देश्य सम्पूर्ण भारत में जो भी सनाढय गौड़ ब्राह्मणवर्ग है। उसको जोड़कर एक दूसरे से परिचित कराना है। संस्था गरीब बच्चों, गरीब महिलाओं को अधिक मदत एवम् प्रतिवर्ष युवक-युवतिओं का वर-वधु सम्मेलन का आयोजन करती है, हमारी संस्था मेघावी छात्रों को छात्रवृत्ति एवम् पुरस्कार देकर उन्हें उत्साहित करती है। हमारी संस्था पिछले ८१ वर्षों से निरंतर वार्षिक सम्मेलन, परशुराम जयंति, होली उत्सव एवम् हरियाली तीज का आयोजन करती आ रही है हमारी संस्था मुंबई में पश्चिम भारतीय ब्राह्मणों की सबसे बड़ी एवम् पुरानी संस्था है।हमारी संस्था के मैनेजिंग ट्रस्टी श्री भवानी शंकर एवम् अन्य ट्रस्टी श्री कपिल जी, श्री त्रिलोक चंदजी, श्री रामेश्वर दयालजी, श्री अशोक रावत, श्रीमती बीना अशोक जी, श्री सत्येन्द्रजी, श्री राजेश, श्री बिजेश, श्री ब्रह्मानंदा, श्री राजेन्द्रप्रसाद जी के मार्गदर्शन में करती है, हमारी संस्था उपरोक्त ट्रस्टीओं एवं कार्यकारिणी सदस्यों, दानदाताओं, नये एवम् पुराने सदस्यों द्वारा की गयी आर्थिक मदत से मुंबई में अपना एक नया भवन बनाने का प्रयास कर रही है।
वर्तमान अध्यक्ष श्री प्रकाश, मंत्री श्री महावीरजी एवम् ट्रस्टी श्री रामेश्वर दयाल जी, युवा कार्यकत्र्ता श्री मनीष अशोकजी एवम् सभी कार्यकारिणी पदाधिकारी एवम् सदस्यों के प्रयास से निरंतर नई ऊचाईयों को छुने की कोशिश कर रही है।
नेतृत्व में हमारे पदाधिकारी श्रीमती विजयलक्ष्मी जी, श्री मनीषजी, श्रीमती कुसुम जी एवम् सभी पदाधिकारी एवम् सदस्यों की मदत से कार्यरत हैं।
भाषा संरक्षण और लिपि
भाषा वही श्रेष्ठ है जिसको जन-समूह सहज में समझ ले
ग्रुप के माध्यम से जगा रहे हिंदी की अलख
हिंदी को बढ़ावा देने के लिए डेढ़ साल पहले हरियाणा के शिक्षकों का संगठन बनाया गया था
अंबाला कैंट : व्हाट्सएप ग्रुप का इस्तेमाल आज के समय केवल मनोरंजन व एक दूसरे तक संदेशों का आदान-प्रदान के लिए किया जाता है लेकिन व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी को बचाने को लेकर प्रयास किए जा रहे हैं, ऐसा ही एक व्हाट्सएप ग्रुप बाकायदा अंबाला कैंट निवासी व राजकीय सीनीयर सेकेंडरी स्कूल की मुख्य शाखा में मौजूदा हिंदी शिक्षक डा. सोनिका द्वारा तैयार किया गया है, जिसका मकसद केवल बच्चों में हिंदी के प्रति रूझान बढ़ाने और उन तक हिंदी को सरल अंदाज में पहुंचाने को लेकर किया गया है, इस ग्रुप के जरिए ‘हिंदी’ द्वारा बाकायदा पूरे हरियाणा के सरकारी स्कूलों में मौजूदा सैकड़ों शिक्षकों की टीम तैयार की गई है जो केवल ग्रुप में अंग्रेजी भाषा के इस दौर में भी ‘हिंदी’ को जीवित रखने के लिए प्रयासरत रहते हैं।
हिंदी शिक्षण विधियां बना शिक्षकों का जरिया: मोबाइल पर व्हाट्सएप ग्रुप ‘हिंदी शिक्षण विधियां’ नामक संगठन जो कि डेढ़ साल से हिंदी भाषा को लेकर काम कर रहा है। ग्रुप में शिक्षक प्रतियोगिताओं के माध्यम से छात्रों के अंदर ‘हिंदी’ की अलख जगाने का प्रयास कर रहे हैं, सभी शिक्षक हिंदी को लेकर अलग-अलग सुझाव साझा करते हैं और ज्यादातर सुझावों को प्रतियोगिताओं के माध्यम से स्कूलों में किया जा रहा है। ‘हिंदी’ शिक्षक डा. सोनिका का कहना है कि ‘हिंदी’ हमारी मातृभाषा है और हमें उसका सम्मान करना चाहिये, लेकिन आज आर्थिक और तकनीकी विकास के साथ-साथ ‘हिंदी’ भाषा अपने महत्व को खोती चली जा रही है।
देखने में आता है कि स्कूली शिक्षा से ही छात्रों में अंग्रेजी सीखने की ललक रहती है, हर कोई सफलता पाने के लिये अंग्रेजी भाषा को सीखना और बोलना चाहता है, इसलिए हिंदी को बढ़ावा देने के लिए सभी शिक्षक एकजुट होकर काम कर रहे हैं। संगठन के अंदर सुरेश राणा, अशोक वशिष्ट व अन्य का सहयोग रहता है।
समर वेकेशन व कवि सम्मेलन का भी ले रहे सहारा
डा. सोनिका का कहना है कि ‘हिंदी’ को बढ़ावा देने के लिए वह बाकायदा गर्मी की छुट्टियों के अंदर भी हिंदी की कक्षाएं आयोजित करती हैं, जिसका मकसद केवल छात्रों का मनोरंजन करवाना है और विभिन्न प्रतियोगिता के जरिए उन्हें ‘हिंदी’ भाषा का महत्व समझाना है जबकि डेढ़ साल के बच्चे भी कहीं बाहर घूमने की बजाय स्कूल में आकर रूझान दिखाते हैं, इसके अलावा पहली बार स्कूल में ‘हिंदी’ के कवि सम्मेलन के जरिए भी हिंदी को बढ़ावा दिया जा रहा है, पहले भी कवि सम्मेलन करवा चुके है और भविष्य में करवा रहे है, जबकि हरियाणा में पहली बार डा. सोनिका को मोबाइल प्रोजेक्ट से हिंदी को पढ़ाने का भी खिताब मिल चुका है।
काउंसिलिंग के जरिए बच्चों को करती हैं जागरूक:
सेवा समिति स्कूल में हिंदी की शिक्षक कुसुम बंसल भी हमेशा हिंदी को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत रहती हैं स्कूल के अंदर छात्रों को पढ़ाने के साथ-साथ काउंसिलिंग के जरिए भी हिंदी के प्रति जागरूक करती हैं, उनका कहना है कि ‘हिंदी’ को बढ़ावा देने का मुख्य उद्देश्य है दूसरे देशों में भी ‘हिंदी’ भाषा बोलते समय हमें शर्मिंदगी महसूस नहीं होनी चाहिए बल्कि ‘हिंदी’ बोलते समय हमें गर्व होना चाहिये।