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३० मार्च राजस्थान स्थापना दिवस
वरिष्ठ पत्रकार व सम्पादक बिजय कुमार जैन ‘हिंदी सेवी’ द्वारा ३० मार्च राजस्थान स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर मुंबई में भव्यातिभव्य ‘आपणों राजस्थान’ कार्यक्रम का आयोजन पूर्व संध्या पर हुआ राजस्थानी संस्थाओं का......
रामनवमी पर्व का महत्व, पूजा विधि और पूजन मुहूर्त
रामनवमी पर्व का महत्व, पूजा विधि और पूजन मुहूर्त चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था, इस दिन पूरे देश भर में श्रीराम जन्मोत्सवों की धूम रहती......
भारतीय संस्कृति एक संपूर्ण संस्कृति
‘‘संस्कृति का उद्गम शब्द संस्कार है।संस्कार का अर्थ है क्रिया जिससे व्यक्ति अथवा मानवीय काल- सापेक्ष दोष को दूर कर शुद्ध कर दिया जाए। मानवीय दोषों को दूर कर उसे निर्मल बनाने वाली प्रक्रियाओं......
आम चुनाव २०१९
कांग्रेस ने दो राज्यों में किया था सफाया अब पार्टियों को करना होगा पुरजोर प्रयास पांच साल में काफी बदल गई है तस्वीर मुंबई : वर्ष २०१४ के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में......
शिवाजी महाराज का इतिहास
भारतीय शासक और मराठा साम्राज्य के संस्थापक शिवाजी महाराज एक बहादुर, बुद्धिमान और निडर शासक थे। धार्मिक अभ्यासों में उनकी काफी रूचि थी। रामायण और महाभारत का अभ्यास वे बड़े ध्यान से करते थे।पूरा......
पश्चिम भारत सनाढय गौड़ सभा मुंबई की स्थापना
हमारी संस्था सन् १९७८ में श्रीबंशीधर पंडया, मधुरा प्रसाद, रामेश्वर दयाल, वृजेन्द्र जी, रामप्रसाद, श्री विश्वनाथ (पंचम पुरीवाले) श्री डा वल्लभदास तिवारी, श्री हरीशचंद्र मैन गुरियाजी एवम अन्य बुद्धजीनाओं सदस्यों के अथक प्रयास से......
राष्ट्रीय एकता के लिए नागरी लिपि की भूमिका
– डॉ. राजलक्ष्मी कृष्णन, पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष (तमिलनाडु) मैं महात्मा गांधी जी के इस वाक्य से ही यह आलेख प्रारंभ कर रही हूँ कि ‘‘राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूँगा है और नागरी लिपि के......
सहयोग करें स्व कल्याण के साथ…
-श्री जनकल्याण गौपाल गौशाला, मारोठ मारोठ: श्री जनकल्याण गोपाल गौशाला मारोठ की में सौलह वर्ष पूर्व गौपालन का कार्य प्रारम्भ हुआ जिसमें ग्राम के समस्त वर्ग शामिल हुए, बाद में कार्यकारिणी का गठन किया......
जमदग्नि ऋषि
आश्रम : हरियाणा में कैथल से उत्तरपूर्व की ओर २८ किलोमीटर की दूरी पर जाजनापुर गाँव स्थित है, यहां महर्षि जमदग्नि का आश्रम था, अब यहां एक सरोवर अवशेष रूप में हैं, यहां प्रत्येक......
स्वभाषा का महत्व
स्वतंत्रता सैनानियों ने अपना बलिदान इसलिए दिया था कि उनका देश अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त होकर आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बने, उसके लिए उनका मानना था कि भारतीय भाषाएँ हर क्षेत्र में प्रतिष्ठापित हों......