अयोध्या मंदिर के लिए सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
by Bijay Jain · Published · Updated
अयोध्या में संबंधित स्थल पर विवाद सदियों पुराना है जहां मुगल बादशाह बाबर ने या उसकी तरफ से तीन गुंबद वाली बाबरी मस्जिद बनवाई गई थी। हिन्दुओं का मानना है कि मुस्लिम हमलावरों ने वहां स्थित राम मंदिर को नष्ट कर मस्जिद बना दी थी, यह मामला १८८५ में तब कानूनी विवाद में तब्दील हो गया था जब एक महंत ने अदालत पहुंचकर मस्जिद के बाहर छत डालने की अनुमति मांगी, यह याचिका खारिज कर दी गई थी। दिसंबर १९४९ में अज्ञात लोगों ने मस्जिद में भगवान राम की मूर्ति रख दी। कारसेवकों की बड़ी भीड़ ने छह दिसंबर १९९२ को ढांचे को ध्वस्त कर दिया था, ढांचे को ध्वस्त किए जाने से देश में हिन्दुओं-मुसलमानों के बीच दंगे भड़क उठे थे और उत्तर भारत तथा मुंबई में अधिक संख्या में दंगे हुए जिनमें सैकड़ों लोग मारे गए, ढांचा ढहाए जाने और दंगों से गुस्साए मुस्लिम चरमपंथियों ने मुंबई में १२ मार्च १९९३ को सिलसिलेवार बम विस्फोट किए जिनमें सैकड़ों लोगों की जान चली गई, न्यायालय ने कहा कि जो गलत हुआ, उसका निवारण किया जाए और पवित्र नगरी अयोध्या में मुसलमानों को मस्जिद के लिए पांच एकड़ का भूखंड आबंटित किया जाए, न्यायालय ने कहा कि विवादित २.७७ एकड़ जमीन अब केंद्र सरकार के रिसीवर के पास रहेगी, जो इसे सरकार द्वारा बनाए जाने वाले ट्रस्ट को सौपेंगे, पीठ ने केंद्र सरकार से कहा कि मंदिर निर्माण के लिए तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट बनाया जाना चाहिए, फैसले में कहा गया कि यह धर्म और विश्वास से जुड़ा नहीं है, बल्कि इसकी जगह मामले को तीन पक्षों-रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़े और सुन्नी मुस्लिम वक्फ बोर्ड के बीच भूमि के स्वामित्व से जुड़े वाद के रूप में देखा गया। न्यायमूर्ति गोगोई १७ नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं, संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल थे। संविधान पीठ ने १०४५ पन्नों का फैसला दिया। भगवान राम का जन्म होने के बारे में हिन्दुओं की आस्था अविवादित है, यही नहीं, सीता रसोई, राम चबूतरा और भण्डार गृह की उपस्थिति इस स्थान के धार्मिक तथ्य के गवाह हैं। न्यायालय ने कहा, ‘विवादित भूमि राजस्व रिकॉर्ड में सरकारी जमीन है’ यह तथ्य कि नष्ट ढांचे के नीचे मंदिर था, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की रिपोर्ट से स्थापित हुआ है और नीचे का ढांचा कोई इस्लामी ढांचा नहीं था।
घटनाक्रम
१५२८: अयोध्या में एक ऐसे स्थल पर एक मस्जिद का निर्माण किया गया जिसे कुछ हिंदू अपने आराध्य देवता राम का जन्म स्थान मानते हैं, समझा जाता है कि मुगल सम्राट बाबर ने यह मस्जिद बनवाई थी, इस वजह से इसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था।
१८५३: पहली बार इस स्थल के पास सांप्रदायिक दंगे हुए।
१८५९: ब्रिटेन के शासकों ने विवादित स्थल पर बाड़ लगा दी, परिसर के भीतरी हिस्से में मुसलमानों को और बाहरी हिस्से में हिंदुओं को प्रार्थना करने की अनुमति मिली।
१८७७: अंग्रेजों ने रामचबुतरा और सीता रसोई में हिंदुओं के प्रवेश की सुविधा के लिए उत्तर की ओर एक दरवाजा खोला।
१८८५: इतने वर्षों से अयोध्या विवाद किसी अदालत में नहीं गया था, वर्ष १८८५ में यह मामला पहली बार जिला अदालत में पहुंचा, इसका कारण मामले का बेहद तूल पकड़ लेना था, १८८५ में महंत रघुबर दास ने अदालत से मस्जिद परिसर में राम मंदिर बनवाने की याचिका दायर की, इस अपील को अदालत ने ठुकरा दिया था, इसके बाद विवाद और ज्यादा गहराता चला गया।
१९४९: भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गईं, ऐसा भी कहा गया कि कुछ हिंदूओं ने ये मूर्तियां वहां रखवाई थी। मुसलमानों ने इस पर विरोध जताया और दोनों पक्षों ने अदालत में मुकदमा दायर कर दिया, सरकार ने इस स्थल को विवादित घोषित करके ताला लगा दिया।
१९५०: गोपाल सिंह विशारद ने पैâजाबाद कोर्ट में याचिका दायर कर राम की पूजा की इजाजत मांगी, महंत रामचंद्र दास ने भी पूजा जारी रखने के लिए अपील की, वर्ष १९५० में पहली बार मस्जिद को ‘ढांचा’ के तौर पर संबोधित किया गया।
१९५१-६१: वर्ष १९५९ में निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल हस्तांतरण के लिए मुकदमा दायर किया, इसके बाद साल १९६१ में उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद पर मालिकाना हक के लिए मुकदमा दर्ज कराया।
१९८४: कुछ हिंदुओं ने विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में भगवान राम के जन्म स्थल को ‘मुक्त’ करने और वहां राम मंदिर बनाने के लिए एक समिति का गठन किया, इस अभियान को फिर बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने संभाल लिया।
१९८६: जिला मजिस्ट्रेट ने हिंदुओं को प्रार्थना करने के लिए विवादित मस्जिद के दरवाजे से ताला खोलने का आदेश दिया, मुस्लिमों ने इसके विरोध में बाबरी मस्जिद संघर्ष समिति का गठन किया।
१९८९: विश्व हिंदू परिषद ने विवादित स्थल के पास राम मंदिर की नींव रखी।