रही, हर कोई ने ‘हिंदी बनें राष्ट्रभाषा’अभियान की तालियों की गड़गड़ाहट से स्वागत भी किया, ‘हिंदी’ को जल्द ही भारत की राष्ट्रभाषा घोषित की जाए, इंडिया का नाम ‘भारत’ बोला जाए, अनुशंसा भी जारी हुयी। कहते हैं जब-जब जो होना होता है तब-तब सो होता है, वर्ष २०१९ को मेरी भारत मॉ को उसकी ज़ुबानठहिंदीठमिलेगी,भारत की राष्ट्रभाषा घोषित होगी, ऐसा मुझे पुरा विश्वास है,क्योंकि पूरे देश में ठहिंदीठ का वातावरण बना है, भारत के कोने-कोने में ठहिंदीठ की महत्वता को समझा जाने लगा है ‘भारतीय भाषा सम्मान यात्रा’ एक ऐसी सोच, जिसको भारत के सभी राजनैतिक व्यक्तियों के समर्थन की जरूरत है, भारत का अपना स्वाभिमान ठहिंदीठ से ही बढेगा, मेरे देश भारत वर्ष की पहचानठहिंदीठ से ही होगी, क्योंकि हम भारतीयों को ठहिंदीठ अच्छी लगती है, हम सभी बोलते भी हैं हम भारतीय हैं, हमारी पहचान हिंदी से ही है, क्या इसका समर्थन आप भी करते हैं, कृपया मार्गदर्शन करें।
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मई २०२४
महेश नवमी पर्व के साथ ‘जय भारत’ का गुंजायमान हो
हमारे देश का नाम केवल ‘भारत’ ही रहे INDIA नाम को भारतीय संविधान से विलुप्त करवाया जाये, इस अभियान को ‘मैं भारत हूँ फाउंडेशन’ ने गत १६ वर्षों पूर्व ‘मैं भारत हूँ’ पत्रिका के साथ शुरूआत की जो सफलता के पायदान पर अग्रसर है, मुंबई-कोलकाता-दिल्ली-चैन्नई-कानपुर-बेंगलुरू आदि-आदि भारत के विभिन्न नगरों-शहरों-गावों के साथ बस्ती-कॉलोनियों में ‘जय उमा महेश’ के नारे के साथ ‘जय भारत’ का भी उद्घोष होता रहे, सभी के बीच एक बात गूंजती रहे की आज भी हम अपने देश को INDIA क्यों बोलते हैं जबकि हमें पता है की INDIA नाम अंग्रेजों द्वारा थोपा गया नाम है, गुलामी की मानसिकता का द्योतक है।
मैं विशेषकर ‘माहेश्वरी’ परिवारों को धन्यवाद देते हुए ‘महेश नवमी’ पर्व की शुभकामनाएं देता हूँ की माहेश्वरी परिवारों ने भारत सरकार द्वारा पंजीकृत ‘मैं भारत हूँ फाउंडेशन संस्थान की स्थापना करवाई जो की आज अंतर्राष्ट्रीय संगठन के रूप स्थापित है और भारत के विभिन्न क्षेत्रों में (विदेशों में ‘जूम’ के माध्यम से) सैकड़ों की संख्या में भव्यातिभव्य कार्यक्रम किये व करवाये और विश्व में पैâले भारतीयों तक यह बात पहुंचाई की देश के दो नाम ‘भारत’ व INDIA की कोई भी आवश्यकता नहीं, हमारे देश का प्राचीनतम नाम ‘भारत’ था और BHARAT ही रहना चाहिए।
विदित हो कि भारत के इतिहास में पहली ‘भारत नाम सम्मान’ गीत ‘मैं भारत हूँ फाउंडेशन’ द्वारा विभिन्न २२ भारतीय भाषाओं में निर्माण कराया जो की ‘भारत’ के विभिन्न भाषायी राज्यों के भारतीयों ने सुना, बजाया और सराहा, जो की सफलता की निशानी है।
‘मैं भारत हूँ फाउंडेशन’ के पदाधिकारियों द्वारा बहुत ही जल्द Mission 22 Languages केवल भारत’ का एक सेट भारत के प्रधानमंत्री को भेंट स्वरूप देने का विचार भी किया गया है जो की अगस्त २०२४ को दिया जायेगा और निवदेन किया जायेगा की विश्व के मानचित्र उत्दां में Mission 22 Languages की जगह BHARAT लिखा जाए।
‘मैं भारत हूँ’ के प्रबुद्ध पाठकों से भी निवेदन है कि ‘भारत को केवल ‘भारत’ ही बोला जाए’ अभियान को सफलता में साथ देकर अपना कर्त्तव्य निभाएं ताकि विश्व में ‘जय भारत’ का जयघोष होता रहे।