इटली से भारत तक
by Bijay Jain · Published · Updated
श्रीमती सोनिया गाँधी

श्रीमती सोनिया गाँधी का जन्म ९ दिसम्बर १९४६ को एक मध्यवर्गीय इतालवी परिवार में हुआ, उनका पैतृक गाँव इटली में तुरिन से लगभग बारह मील दूर ओरबासामो में स्थित दम्पत्ति की तीन बेटियों में दूसरी हैं, इनकी बड़ी बहन का नाम अनुकमा और छोटी का नाम नादिया है।श्रीमती सोनिया की आरम्भिक शिक्षा इटली स्थित वैâथलिक स्वूâल में हुई, बाद में उन्होंने लंदन के वेंâब्रिज विश्वविद्यालय से अंग्रेजी भाषा में डिप्लोमा किया। परिवार के लिए सोनिया राजकुमारी सिन्ड्रेला के समान थी, वे पढ़ाई में ठीक-ठीक थीं लेकिन होशियार नहीं थी, उनके पिता रूसी भाषा और संस्कृति से बेहद प्रभावित थे,यही कारण है कि उन्होंने अपनी तीनों बेटियों को रूसी नाम दिए। सोनिया ने पिता से रूसी भाषा भी सीखी, साथ ही स्पेनिश, अंग्रेजी और प्रैंâच के साथ हिंदी भाषा पर समान अधिकार है।
पिता स्टीफनों की मेहनत व अनुशासनप्रियता के सबसे अधिक गुण सोनिया ने ही ग्रहण किए। सोनिया बचपन में बड़ी शरारती और सक्रिय बालिका थी, वे पड़ोस के लड़कों के साथ घंटों पुâटबॉल खेलती थी या लंगड़ी टाँग वाला खेल। कभी-कभी वे बड़ी आक्रमक भी हो जाती थी, एक साथी के सिर पर तो उन्होंने एक बार मोटी डिक्शनरी ही दे मारी थी। बचपन में वे बड़ी महत्वाकांक्षी थी और शिक्षिका बनना चाहती थी लेकिन उनकी माता चाहती थी कि वे अधिक आय देने वाला काम करें क्योंकि पिता के कठोर अनुशासन से माता-पिता में प्राय: झगड़ा होता रहता था, अत: सोनिया अपनी माता के अधिक निकट थी।
भारत के सबसे प्रसिद्ध गाँधी परिवार से सोनिया वर्ष १९६८ में जुड़ी, इंदिरा गाँधी के पुत्र राजीव गाँधी से उनकी पहली मुलाकात १९६५ में उस वक्त हुई जब वे दोनों एक साथ ब्रिटेन के नामी विश्वविद्यालय वेंâब्रिज में पढ़ रहे थे। दोनों एक-दूसरे को पसन्द करने लगे इसके बाद मिलने का सिलसिला शुरु हुआ। शहर में बने एक ग्रीक रेस्तरां से इन्होंने करीब तीन साल तक डेटिंग की, एक दिन राजीव गाँधी, सोनिया के पैतृक गाँव ओरबासामों पहुँचे और उनके पिता स्टीफनों से सपाट शब्दों में सोनिया का हाथ माँग बैठे।
स्टीफनों सन्न रह गए, फिर उन्होंने कहा कि यदि उनका प्रेम सच्चा है तो वे एक साल अलग-अलग रहें, फिर वे निर्णय करेंगे। दोनों एक साल अलग रहे, लेकिन उनका प्यार कम नहीं हुआ पर बढ़ा जरूर, तब स्टीफनों ने बुझे मन से उन्हें विवाह की अनुमति दे दी, वे इस बात से चिंतित थे कि इटली की संस्कृति में पली- बढ़ी सोनिया, भारतीय संस्कृति को किस प्रकार अंगीकृत करेगी, यही कारण था कि उन्होंने सोनिया को रिटर्न टिकट दिया, उन्हें भरोसा था कि सोनिया ज्यादा दिन भारत में नहीं रह पाएगी लेकिन सोनिया भारत की होकर रह गर्इं। १३ जनवरी १९६८ को सोनिया के कदम भारत की धरती पर पड़े। २५ जनवरी १९६८ को उनकी सगाई हुई और ठीक एक महीने बाद २५ फरवरी १९६८ को बंसत पंचमी के दिन दोनों विवाह सूत्र में बँध गए। विदित हो कि ठीक इसी दिन इंदिरा और फिरोज गाँधी का भी मिलन हुआ था।
राजीव और सोनिया की शादी भारतीय संस्कृति के अनुरुप हुई। सफदरजंग रोड में सम्पन्न हुए इस विवाह के अवसर पर सोनिया ने गुलाबी रंग की वही सूती साड़ी पहनी थी जिसे उनकी सास इंदिरा ने अपनी शादी के मौके पर पहना था, इस साड़ी की खासियत यह थी कि इसमें इस्तेमाल होने वाला सूत, इंदिरा के पिता नेहरु ने उस समय काता था जब वे जेल में थे। गाँधी परिवार में शामिल अजनबी सोनिया जल्द ही सबकी, खासकर इंदिराजी की करीबी हो गर्इं, दोनों एक-दूसरे को बेहद पसन्द करते थे, ये सिर्फ मानवी रिश्ते ही थे कि जिसके कारण गुजरते समय का पता ही नहीं चला। सोनिया ने हमेशा से ही राजनीति से अपने आपको दूर रखा, राजीव का राजनीति में जाना उन्हें पसन्द नहीं था।
इंडियन डायनेस्टी’ के लेखक तारिक अली ने एक जगह लिखा है कि सोनिया ने एक बार अपने एक दोस्त से कहा था कि राजीव के राजनीति में जाने से बेहतर, मैं बच्चों से सड़क पर भीख मँगवाना सही समझूँगी, आखिरकार हुआ वही जिसका सोनिया को डर था, १९८० में संजय गाँधी की मृत्यु के बाद राजीव ने इंडियन एयरलाइन से इस्तीफा देकर राजनीति को अपनाया, राजीव के हवाले से अली लिखते हैं कि घंटों इस बारे में सोनिया से बात करने के बाद यह पैâसला लिया गया, लेकिन, आज यानी अपनी पति की मृत्यु के बाद आलम यह है कि सोनिया खुद भारतीय राजनीति में अहम भूमिका अदा कर रही हैं। ७२ वर्षीय सोनिया ने वर्ष १९९८ में सक्रिय राजनीति से जुड़ने के बाद बहुत ही कम समय में, करीब १३० साल पुरानी काँग्रेस पार्टी को नए मुकाम पर पहुँचाया।