देश की तरक्की के लिए जरूरी है सरकारी खजाने में तेजी से सुधार

देश की तरक्की

बीते तीन सालों में सालाना एक करोड़ रुपये से अधिक आय वाले करदाताओं की संख्या बढ़ना केवल यही नहीं बताता कि कालेधन के खिलाफ सरकार की मुहिम रंग ला रही है, बल्कि यह भी प्रकट करता है कि लोगों में सरकारी तंत्र पर भरोसा बढ़ रहा है और वे अपने हिस्से का टैक्स चुकाने के लिए आगे आ रहे हैं। यह उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष २०१४-१५ के मुकाबले २०१७-१८ में अपनी आय सालाना एक करोड़ रुपये बताने वाले व्यक्तिगत करदाताओं की संख्या में ६८ प्रतिशत की अच्छी-खासी वृद्धि दर्ज की गई, इसमें नोटबंदी और जीएसटी पर अमल की भी भूमिका को देखा जाना चाहिए।

हालात किस तरह बदल रहे हैं, इसे इस आंकड़े से और भी अच्छे से समझा जा सकता है कि जहां वित्त वर्ष २०१३-१४ में कुल ३.७९ करोड़ आयकर रिटर्न दाखिल हुए थे, वहीं २०१७-१८ में उनकी संख्या बढ़कर ६.८५ करोड़ हो गई। चूंकि इस वित्त वर्ष आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले नए करदाताओं का आंकड़ा सवा करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है इसलिए यह कहा जा सकता है कि एक अच्छा सिलसिला कायम हो गया है, यह सिलसिला केवल सरकारी खजाने की सेहत सुधारने वाला ही नहीं, देश की प्रगति में योगदान देने वाला भी है। यह सही है कि सवा सौ करोड़ से अधिक आबादी अथवा करीब २५ करोड़ परिवारों वाले इस देश में आयकर दाताओं की कुल संख्या ६.८५ करोड़ कोई बहुत अधिक नहीं, लेकिन इससे बेहतर और कुछ नहीं कि सक्षम लोग आयकर के दायरे में आना उचित समझ रहे हैं।भले ही ऐसा कोई आंकड़ा उपलब्ध न हो कि कितने लोग सरकार की ओर से उठाए गए कदमों के चलते इस दायरे में आ रहे हैं और कितने स्वेच्छा से, लेकिन जो भी स्वत: आ रहे हैं वे साधुवाद के पात्र हैं।

देश में आयकर दाता बढ़ने के लिए यह भी आवश्यक है कि समृद्धि का विस्तार तेजी से हो और ऐसा तब होगा जब सभी समर्थ लोग टैक्स चुकाएंगे, यह स्वागत योग्य है कि सरकार का आधे से ज्यादा खजाना आयकर विभाग भर रहा है, जब सरकार के खजाने में पर्याप्त पैसा होगा तभी वह जन कल्याण के साथ विकास की योजनाओं पर अमल कर सकेगी, ऐसी ही योजनाएं निर्धन तबके को गरीबी रेखा से ऊपर लाती हैं और समय के साथ इस तबके के कुछ लोग भविष्य के जहां वित्त वर्ष २०१३-१४ में कुल ३.७९ करोड़ आयकर रिटर्न दाखिल हुए थे, वहीं २०१७-१८ में उनकी संख्या बढ़कर ६.८५ करोड़ हो गई, चूंकि इस वित्त वर्ष आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले नए करदाताओं का आंकड़ा सवा करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है इसलिए यह कहा जा सकता है कि एक अच्छा सिलसिला कायम हो गया है, यह सिलसिला केवल सरकारी खजाने की सेहत सुधारने वाला ही नहीं, देश की प्रगति में योगदान देने वाला भी है।

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