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आपणो राजस्थान २०१९
सिंधी अनमोल रतन

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फरवरी-२०२२

पश्चिम बंगाल का एक और जिला
‘नदिया’ के इतिहास की प्रस्तुति
‘मैं भारत हूँ’ परिवार ने ‘भारत को केवल ‘भारत' ही बोला जाए' इंडिया नहीं, अभियान की शुरुआत के साथ
पश्चिम बंगाल में स्थित २२ जिलों के इतिहास की प्रस्तुति शुरू की और बिरभूम, मुर्शिदाबाद, दार्जिलिंग,
जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार, कूचबिहार, पुरूलिया, मालदा, बांकुड़ा, पश्चिम मेदिनीपुर, बर्ध्दमान भाग-१,
बर्ध्दमान भाग-२, कालिम्पोंग, हुगली जिलों का इतिहास निकालने के पश्चात ‘नदिया' जिले के इतिहास का जब
प्रकाशन किया तो ऐसा लगा कि सचमुच ‘नदिया' जिला ऐतिहासिक संदर्भों से भरा हुआ है, कारण यह है कि
‘नदिया' जिले का एक नगर ‘पलाशी' ऐतिहासिक युद्ध ‘अंग्रेजों व नवाब सिराजुद्दौला’ के बीच हुआ था।
सिराजुद्दौला की हार के कारण अंग्रेजों को भारत पर प्रशासन करने का मौका मिल गया और अंग्रेजों ने लगातार
ढाई सौ साल तक भारत पर शासन किया और देश का नाम ‘भारत' से बदलकर इंडिया कर दिया। सचमुच यह
ऐतिहासिक हार नवाब सिराजुद्दौला की नहीं ‘भारत’ देश की हार कही जा सकती है, कारण यह है कि तत्कालीन
समय में भारत माँ कुछ भी नहीं कर पाई और ‘इंडिया’ नाम को सहन कर लिया।
भारत की स्वतंत्रता सेनानियों की जद्दोजहद व बलिदानों के कारण जब १९४७ में देश आजाद हुआ और भारत का
संविधान १९५० में लिखा गया, उसमें भी हम भारतीयों ने गलती कर दी, जहां लिख दिया ‘इंडिया दॅट इज भारत’
जबकि हमारे देश का नाम हजारों सालों से भारत ही रहा हैं। ‘भारत को ‘भारत’ ही बोला जाना चाहिए’ की बजाए
लिखा गया ‘इंडिया दॅट इज भारत’ इसलिए आज भी भारत माँ के साथ इंडिया नाम जुड़ा हुआ है।
‘मैं भारत हूँ फाउंडेशन’ सामाजिक संस्था के विश्व में फैले पदाधिकारियों ने प्रण लिया है कि जब तक ‘भारत को
केवल ‘भारत’ ही नहीं बोला जाएगा’, हम भारतीय चैन से नहीं बैठेंगे।
मुझे पूरा विश्वास है की ‘नदिया’ का इतिहास ‘मैं भारत हूँ’ के प्रबुद्ध पाठकों को जरूर पसंद आएगा। मुझे इंतजार
रहेगा मार्गदर्शन का……
जय भारत!