कमलनाथ का सियासी सफर
by Bijay Jain · Published · Updated
राजनैतिक जीवन
राजनैतिक जीवन- नौ बार सांसद, केंद्रीय मंत्री के रूप में संसदीय कार्य, शहरी विकास जैसे अहम विभाग संभाले खासियत ८ महीने पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बने कमलनाथ को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अपना तीसरा बेटा मानती थीं। १९७९ में मोरारजी देसाई की सरकार से मुकाबले में इंदिरा के मददगार कमलनाथ अब ३९ साल बाद उनके पोते कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए भी दमदार साबित हुए हैं।लोकसभा में कमलनाथ छिंदवाड़ा की नौ बार नुमाइंदगी कर चुके हैं। इंदिरा गांधी छिंदवाड़ा लोकसभा सीट के प्रत्याशी कमलनाथ के लिए चुनाव प्रचार करने आई थी, इंदिरा ने तब मतदाताओं से चुनावी सभा में कहा था कि कमलनाथ उनके तीसरे बेटे हैं, कृपया उन्हें वोट दीजिए। कमलनाथ का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ था, उनके पिता का नाम महेंद्रनाथ और माता का लीला है। कमलनाथ देहरादून स्थित दून स्कूल के छात्र रहे हैं, राजनीति में आने से पहले उन्होंने सेंट जेवियर कॉ लेज कोलकाता से स्नातक किया।ज्योतिरादित्य सिंधिया की जगह राहुल गांधी ने कमलनाथ को इसी साल मध्य प्रदेश का कांग्रेस अध्यक्ष बनाया। कमलनाथ ने दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुरेश पचौरी जैसे प्रदेश के सभी दिग्गज नेताओं को एक साथ लाने का काम किया।
समाज के हर तबके के लिए योजनाओं के कारण चौहान की लोकप्रियता से वाकिफ चुनाव अभियान की शुरुआत में ही कमलनाथ ने बीजेपी पर हमला शुरू कर दिया। अभियान के जोर पकड़न् पर पार्टी की ओर मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए राज्य कांग्रेस ने ‘वक्त है बदलाव का’ नारा दिया।कमलनाथ के नेतृत्व में प्रदेश कांग्रेस ने अपने चुनावी अभियान में पूर्व मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शिवराज चौहान के उन वादों पर फोकस किया जिसे पूरा नहीं किया जा सका। पार्टी ने चौहान को ‘घोषणावीर’ बताया’, जिसके बाद सरकार द्वारा घोषित योजनाओं को लेकर चर्चा शुरू हो गई।मध्य प्रदेश के कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ ने सोमवार दोपहर मध्यप्रदेश के १८वें मुख्यमंत्री के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली।राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उन्हें शहर के जम्बूरी मैदान में एक भव्य समारोह में शपथ दिलाई।
कमलनाथ ने हिन्दी में शपथ ली और अकेले शपथ ग्रहण किया, उनके मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले मंत्रियों को बाद में शपथ दिलाई जाएगी। शपथ ग्रहण समारोह में राहुल गांधी, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के मंच पर आते ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हर्षोउल्लस के साथ जमकर नारे लगाये। शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सहित संप्रग के कई दिग्गज नेता मौजूद थे, जिनमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी, पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी, द्रमुक नेता एम के स्टालिन, तेलुगू देशम पार्टी के प्रमुख और आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चन्द्रबाबू नायडू, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव, बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव, राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता शरद पवार, प्रफुल्ल पटेल, नेशनल कान्पेंâस के नेता फारूख अब्दुल्ला, तृणमूल कांग्रेस के नेता दिनेश त्रिवेदी शामिल हैं।
कार्यक्रम में बसपा प्रमुख मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव को भी आना था लेकिन किन्हीं कारणों से दोनों नहीं आ सके, इस भव्य समारोह से पहले मैदान में सर्वधर्म प्रार्थना हुई। कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के बाद राज्यपाल आनंदीबेन वहां से रवाना हो गई। शपथ ग्रहण समारोह में सोमवार की सुबह राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले अशोक गहलोत, राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, पंजाब सरकार के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू, उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख राजबब्बर, वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा, राजीव शक्ला, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, मध्यप्रदेश से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्वियज सिंह, वरिष्ठ नेता अजय सिंह और सुरेश पचौरी सहित अनेक प्रमुख नेता, साधु संत और सभी धर्मों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के तीन पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान, कैलाश जोशी और बाबूलाल गौर भी मौजूद थे।
कार्यक्रम में बसपा प्रमुख मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव को भी आना था लेकिन किन्हीं कारणों से दोनों नहीं आ सके, इस भव्य समारोह से पहले मैदान में सर्वधर्म प्रार्थना हुई। कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के बाद राज्यपाल आनंदीबेन वहां से रवाना हो गई। शपथ ग्रहण समारोह में सोमवार की सुबह राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले अशोक गहलोत, राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, पंजाब सरकार के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू, उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख राजबब्बर, वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा, राजीव शक्ला, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, मध्यप्रदेश से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्वियज सिंह, वरिष्ठ नेता अजय सिंह और सुरेश पचौरी सहित अनेक प्रमुख नेता, साधु संत और सभी धर्मों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के तीन पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान, कैलाश जोशी और बाबूलाल गौर भी मौजूद थे।
शपथ ग्रहण से पहले मंच पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक साथ हाथ उठाकर जनता का अभिवादन किया। वर्ष २०१९ के आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए यहां प्रमुख विपक्षी नेताओं का इकठ्ठा होना महागठबंधन बनने की संभावना की दिशा में एक अहम संकेत माना जा रहा है। जम्बूरी मैदान में शपथ ग्रहण का भव्य समारोह आयोजित करने की पिछले तीन दिन से तैयारियां की जा रही थी। मालूम हो कि कमलनाथ के पहले भाजपा के शिवराज सिंह चौहान ने भी इसी मैदान पर तीन बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह सहित भाजपा के सभी अहम नेताओं की बड़ी सभाएं भी इसी मैदान पर होती रही हैं। मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए २८ नवंबर को मतदान हुआ था और ११ दिसंबर को आए चुनाव परिणाम में प्रदेश की कुल २३० विधानसभा सीटों में से कांग्रेस को ११४ सीटें मिली हैं। वह बसपा के दो, सपा के एक और चार अन्य निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई है, उसे फिलहाल कुल १२१ विधायकों का समर्थन हासिल है, वहीं भाजपा को १०९ सीटें मिली हैं।
शपथ ग्रहण से पहले मंच पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक साथ हाथ उठाकर जनता का अभिवादन किया। वर्ष २०१९ के आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए यहां प्रमुख विपक्षी नेताओं का इकठ्ठा होना महागठबंधन बनने की संभावना की दिशा में एक अहम संकेत माना जा रहा है। जम्बूरी मैदान में शपथ ग्रहण का भव्य समारोह आयोजित करने की पिछले तीन दिन से तैयारियां की जा रही थी। मालूम हो कि कमलनाथ के पहले भाजपा के शिवराज सिंह चौहान ने भी इसी मैदान पर तीन बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह सहित भाजपा के सभी अहम नेताओं की बड़ी सभाएं भी इसी मैदान पर होती रही हैं। मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए २८ नवंबर को मतदान हुआ था और ११ दिसंबर को आए चुनाव परिणाम में प्रदेश की कुल २३० विधानसभा सीटों में से कांग्रेस को ११४ सीटें मिली हैं। वह बसपा के दो, सपा के एक और चार अन्य निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई है, उसे फिलहाल कुल १२१ विधायकों का समर्थन हासिल है, वहीं भाजपा को १०९ सीटें मिली हैं।
कर्जमाफी के वादे ने कांग्रेस को तीन राज्यों की सत्ता में ला दिया। कांग्रेस ने भी इस मुद्दे को जमकर भुनाने की कोशिश शुरू कर दी है। सोमवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के कुछ घंटे के अंदर ही कमलनाथ ने कर्जमाफी की फाइल पर दस्तखत कर दिए हैं, इस आदेश के साथ ही किसानों को सरकारी और सहकारी बैकों द्वारा दिया गया २ लाख रुपए तक का अल्पकालीन फसल ऋण माफ हो जाएगा। गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और अन्य नेताओं ने चुनाव में वादा किया था कि अगर राज्य में उनकी सरकार बनती है तो सिर्फ १० दिनों में किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा। मध्य प्रदेश सरकार के इस कदम के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि एक ने किया दो बाकी, इसी क्रम में सोमवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने पहले काम के रूप में कर्जमाफी की फाइल पर दस्तखत कर दिए, इसके साथ ही कन्या विवाह योजना के तहत दी जाने वाली राशि को बढ़ाकर ५१ हजार कर दिया है, राज्य में चार गारमेंट पार्क बनाने को भी मंजूरी दी गई है, इससे पहले भोपाल के जम्बूरी मैदान में आयोजित शपथग्रहण समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत विपक्ष के तमाम बड़े नेता मौजूद थे, इसी दौरान मंच पर पहुंचे कमलनाथ सबसे एक-एक कर मिले।