११वें विश्व हिंदी सम्मेलन मॉरीशस में ‘विश्व हिंदी सम्मान’ से नवाजे गए विश्व के हिंदी-सेवी

भारत
  • डॉ. जोरम आनिया ताना : डॉक्टर जोरम आनिया ताना, विद्या वाचस्पति अरूणाचल प्रदेश में सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्यरत हैं। निशी लोकगीतसांस्कृतिक अध्ययन एवं हिंदी निशी डिक्शनरी नामक आपकी दो पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं, आपके कई शोध पत्र, लेख व अनुवाद भी प्रकाशित हुए हैं। आपको विनोबा नागरी राष्ट्रीय सम्मान, साहित्य सेवा सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। हिंदी की सेवा में आपके उत्कृष्ट कार्यों के लिए ‘विश्व हिंदी सम्मान’ से सम्मानित किया गया।
  • श्री प्रसून जोशी : श्री प्रसून जोशी प्रसिद्ध कवि, गीतकार पटकथा लेखक हैं। भारत सरकार से पद्मश्री से सम्मानित किए जाने के अतिरिक्त आपको दो बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से भी पुरस्कृत किया जा चुका है। आपको वल्र्ड इकोनॉ मिक फोरम द्वारा यंग ग्लोबल लीडर भी चुना जा चुका है। हिंदी की सेवा में आपके उत्कृष्ट कार्यों के लिए ‘विश्व हिंदी सम्मान’ से सम्मानित किया गया।
  • प्रो. सुरेश ऋतुपर्ण : प्रो. सुरेश ऋतुपर्ण प्रतिभा संपन्न विद्वान हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से विद्या वाचस्पति की उपाधि प्राप्त करने के अतिरिक्त आपने १९७१ से २००२ तक हिन्दू कॉलेज में अध्ययन तथा भारतीय उच्चायोग में राजनयिक के रूप में भी अविस्मरणीय सेवाएँ दीं। आप ‘विश्व हिंदी न्यास, न्यूयार्क के अंतरराष्ट्रीय समन्वयक’ और ‘हिंदी जगत’ नामक त्रैमासिक पत्रिका के संपादक रहे हैं, आपको त्रिनिदाद हिंदी भूषण सम्मान, हिंदी निधि सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है। हिंदी की सेवा में आपके उत्कृष्ट कार्यों के लिए ‘विश्व हिंदी सम्मान’ से सम्मानित किया गया।
  • प्रो. इंद्रनाथ चौधरी : दिल्ली विश्वविद्यालय में प्राध्यापक प्रोफेसर तथा बुखारेस्ट विश्वविद्यालय में अतिथि हिंदी प्रोफेसर  के रूप में सेवाएँ देने के अतिरिक्त प्रोफेसर  इंद्रनाथ चौधरी १३ वर्षों तक साहित्य अकादमी के सांस्कृतिक प्रशासक रहे हैं। आप भारतीय उच्चायोग, लंदन में निदेशक तथा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली में शैक्षणिक निदेशक रहे हैं। आप टैगोर साहित्य, काव्य- शास्त्र , नाटक, धर्म, संस्कृति तथा भारत अध्ययन के विशेषज्ञ हैं। हिंदी की सेवा में आपके उत्कृष्ट कार्यों के लिए आपको ‘विश्व हिंदी सम्मान’ से सम्मानित किया गया।
  • डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी : कलकत्ता विश्विद्यालय से विद्यावाचस्पति की उपाधि प्राप्त करने वाले डॉक्टर प्रेमशंकर त्रिपाठी हिंदी अध्यापन तथा लेखन से जुड़े रहे हैं, आप सुरेंद्र नाथ सांध्य कॉलेज कलकत्ता के हिंदी विभाग में ३३ वर्षों तक एसोसिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष रहे, आपने कई बहुचर्चित पुस्तकों यथा अमर आग है, गीता परिक्रमणि का आदि का संपादन किया है। संपादन कार्य के अतिरिक्त आप साहित्य भूषण सम्मान, विष्णु कांत शास्त्री हिंदी सेवा सम्मान जैसे पुरस्कारों के विजेता भी रह चुके हैं। हिंदी की सेवा में आपके उत्कृष्ट कार्यों के लिए आपको ‘विश्व हिंदी सम्मान’ से सम्मानित किया गया।
  • डॉ. श्रीमती ऋता शुक्ल : राँची विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष,मानविकी में संकायाध्यक्ष तथा पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के निदेशक के रूप में अपनी सेवाएँ देने वाली डॉ. श्रीमती ऋता शुक्ल ने मगध विश्वविद्यालय से विद्यावाचस्पति की उपाधि प्राप्त की है। ‘धर्मयुग’, ‘हिंदुस्तान’, ‘हंस’, ‘सारिका’, ‘नई धारा’ जैसी कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं, आपको लोकभूषण सम्मान, हिन्दुस्तानी प्रचार सेवा सम्मान, राजभाषा सम्मान, नई धारा रचना सम्मान जैसे पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है। ‘हिंदी’ की सेवा में आपके उत्कृष्ट कार्यों के लिए आपको ‘विश्व हिंदी सम्मान’ से सम्मानित किया गया।
  • प्रो. चमन लाल गुप्त : पंजाब विश्वविद्यालय से वाचस्पति की उपाधि अर्जित करने वाले प्रो. चमन लाल गुप्त शोध निर्देशन और लेखन से जुड़े रहे हैं, आपको राष्ट्रीय हिंदी सेवा सम्मान, हिंदी गौरव सम्मान, साहित्य शिरोमणि सम्मान, राष्ट्रीय एकात्मता पुरस्कार आदि सम्मानों से सम्मानित किया गया है। ‘हिंदी’ की सेवा में आपके उत्कृष्ट कार्यों के लिए आपको ‘विश्व हिंदी सम्मान’ से सम्मानित किया गया।
  • श्री श्रीधर पराडकर : समाज के प्रति पूर्णतया समर्पित समाजसेवी श्री श्रीधर पराडकर अनेक प्रसिद्ध पुस्तकों के प्रणेता रहे हैं। लेखन के अतिरिक्त आप अनुवाद तथा संपादन कार्य से भी जुड़े रहे हैं। आप देशांतर,अंडमान ऑप लाँग यात्रावृत्त, साहित्य संवर्धन यात्रा-४ के संपादक तथा कुछ पुस्तकों के अनुवादक भी रहे हैं। ‘हिंदी’ के सेवा में आपके उत्कृष्ट कार्यों के लिए आपको ‘विश्व हिंदी सम्मान’ से सम्मानित किया गया।
  • श्री तम्जनसोबा आओ : गुवाहाटी विश्वविद्यालय से स्नातक तथा राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा से राष्ट्रभाषा रत्न की उपाधि प्राप्त करने वाले श्री तम्जनसोबा आओ हिंदी अध्यापन और लेखन कार्य से भी जुड़े हुए हैं। हिंदी व्याकरण पर आपकी पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। आप नागालैंड भाषा अकादमी, डिमापुर के अध्यक्ष के रूप में १९८० से राष्ट्रभाषा महाविद्यालय का संचालन कर रहे हैं। हिंदी की सेवा में आपके उत्कृष्ट कार्यों के लिए आपको विश्व हिंदी सम्मान से सम्मानित किया गया।
  • डॉ. सुभाष सी. कश्यप : सुविख्यात संविधान विशेषज्ञ डॉ. सुभाष सी. कश्यप को विधि सेवा सम्मान, विशिष्ट सेवा सम्मान, पद्मभूषण विदुर सम्मान जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। विधि तथा राजनीति विज्ञान की उत्कृष्ट पुस्तकों के लिए आपको मोतीलाल नेहरू पुरस्कार प्रदान किया गया है। आप ३७ से अधिक वर्षों तक भारत की संसद से जुड़े रहे हैं तथा सातवीं, आठवीं व नवीं लोकसभा सचिवालय के महासचिव रह चुके हैं। आपने ६० सेअधिक पुस्तकें लिखी हैं और ५० खंडों का संपादन किया है। हिंदी की सेवा में आपके उत्कृष्ट कार्यों के लिए आपको ‘विश्व हिंदी सम्मान’ से सम्मानित किया गया।
  • डॉ. सी. भास्कर राव : राँची विश्वविद्यालय के विभिन्न महाविद्यालयों में प्राध्यापक रह चुके डॉ. भास्कर राव अनेक साहित्यिक विधाओं में भी पारंगत हैं, आपके लेखन में विविधता भी विद्यमान रही है तथा आप कथा संग्रह, व्यंग्य, कहानी लेखन से भी जुड़े हुए हैं।आपको तुलसी सम्मान, राधाकृष्ण पुरस्कार, साहित्य शिरोमणि सम्मान से भी सम्मानित किया गया है। ‘हिंदी’ की सेवा में आपके उत्कृष्ट कार्यों के लिए आपको ‘विश्व हिंदी सम्मान’ से सम्मानित किया गया।
  • डॉ. के. सी. अजय कुमार : विद्याचस्पति की उपाधि प्राप्त करने वाले डॉ क्टर के. सी. अजय कुमार वरिष्ठ प्रबंधक राजभाषा और कॉरपोरेशन बैंक में मुख्य प्रबंधक राजभाषा के रूप में कार्य कर चुके हैं। हिंदी में आपकी ४ मौलिक कृतियॉँ तथा २ अनुवादित कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। आपने हिंदी से मलयालम में १८ रचनाओं का अनुवाद किया है, आपको हिंदीतर भाषी हिंदी लेखक पुरस्कार और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। हिंदी की सेवा में आपके उत्कृष्ट कार्यों के लिए आपको ‘विश्व हिंदी सम्मान’ से सम्मानित किया गया।
  • डॉ. अजय कुमार पटनायक : ‘हिंदी’ के प्राध्यापक, कई पुस्तकों के रचियता डॉक्टर अजय कुमार पटनायक संपादक कार्य से भी जुड़े रहे हैं, आपने हिंदी साहित्य सुधा, वरमाला, हिंदी साहित्य सरोवर, हिंदी साहित्य लहरी जैसी प्रसिद्ध पुस्तकों का संपादन किया है। आपको डालमिया पुरस्कार, हिंदी सेवी सम्मान आदि पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है। ‘हिंदी’ की सेवा में आपके उत्कृष्ट कार्यों की लिए आपको ‘विश्व हिंदी सम्मान’ से सम्मानित किया गया। अपरिहार्य कारणों से हिंदी सेवी समारोह में उपस्थित नहीं हो सके, इन्हें बाद में सम्मानित किए जाने का निर्णय लिया गया।
  • श्री बशीर अहमद मयूख : श्री बशीर अहमद मयूख उन प्रतिभा संपन्न कवियों में से हैं, जिन्होंने बाल्यकाल से ही काव्य लेखन प्रारंभ कर दिया था। आप केंद्रीय हिंदी समिती के सदस्य रह चुके हैं। आपको प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन, नागपुर में वेदों का हिंदी में अनुवाद के लिए विशिष्ट सम्मान दिया गया था, इसके अतिरिक्त आपको और कई प्रतिष्ठित पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं।
  • प्रो. धर्मपाल मैनी : विद्यावाचस्पति की उपाधि प्राप्त करने वाले प्रोफेसर डॉ क्टर धर्मपाल मैनी शोध प्रक्रिया, भारतीय संस्कृति, अमेरिकन इतिहास व संस्कृति के प्रख्यात ज्ञाता हैं। आपने अमेरिका, इंग्लैंड तथा ऑस्ट्रेलिया में अध्यापन का कार्य भी किया है, आपकी ४० पुस्तवेंâ प्रकाशित हो चुकी हैं, आप भारत सरकार, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हिमाचल, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और बिहार राज्य की सरकारों द्वारा कई बार पुरस्कृत व सम्मानित किए जा चुके हैं।
  • श्री ब्रजकिशोर शर्मा : श्री ब्रजकिशोर शर्मा राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर में विधि संकाय के प्राध्यापक रहे हैं, आपने राजभाषा विधायी आयोग के सचिव के रूप में भी अपनी सेवाएँ दी हैं। आपने १९६९ में समस्त अधिनियमों का हिंदी में प्राधिकृत पाठ प्रकाशित कराया। भारतीय संविधान को संस्कृत सहित १४ भारतीय भाषाओं में प्रकाशित करने का श्रेय भी आपको प्राप्त है, आपको बिहार, दिल्ली, मध्यप्रदेश, कर्नाटक एवं राजस्थान राज्य द्वारा कई बार सम्मानित किया जा चुका है।
  • प्रो. रमेश चंद्र शाह : प्रख्यात हिंदी कवि, निबंधकार, चिन्तक तथा आलोचक प्रोफेसर रमेश चंद्र शाह निराला सृजन पीठ के निदेशक और राधाकृष्णन पीठ के प्रोफेसर रहे हैं, आपके ११ उपन्यास, ५ कहानी-संग्रह, २ नाटक, १० निबंध-संग्रह आदि प्रकाशित हो चुके हैं, आपको साहित्य अकादमी पुरस्कार, व्यास सम्मान, राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार, राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान आदि से पुरस्कृत किया गया है, आपको वर्ष २००४ में पद्मश्री पुरस्कार से भी अलंकृत किया जा चुका है।
  • श्रीमती मालती जोशी : विगत साठ वर्षों से हिंदी लेखन में साधनारत, पचास पुस्तकों की रचयिता श्रीमति मालती जोशी को भारत द्वारा पद्मश्री से अलंकृत किया गया है। आपने अंग्रेजी, रूसी और जापानी भाषाओं में अनुवाद के माध्यम से अपना साहित्य विदेशी पाठकों तक पहुँचाया। हिंदी साहित्य जगत की सभी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में आपकी कहानियां तथा लघु उपन्यास को स्थान दिया गया है। भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से अलंकृत किए जाने के अतिरिक्त आपको हिंदी सेवी सम्मान, मैथीलीशरण गुप्त राष्ट्रीय सम्मान,ओजस्विनी सम्मान इत्यादि पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है।
  • प्रो. जावेद खोलोव, ताजाकिस्तान : प्रो. जावेद खोलोव ने हिंदी एवं उर्दू भाषा में ताजिक नेशनल विश्वविद्यालय से स्नातक डिग्री प्राप्त की, आपने हिंदी व उर्दू में कई किताबें लिखी हैं जो ताजाकिस्तान, जर्मनी, रूस और भारत में प्रकाशित हुई हैं, शैक्षिक कॉलेज, पंजीकृत में निदेशक पद पर नियुक्त आप भारतीय अध्ययन केंद्र में हिंदी भाषा की सेवाएँ दे रहे हैं। ‘हिंदी गाँव से भारत तक’ उपन्यास का गठन, हिंदी उपन्यास का आधा मूल्यांकन’ नामक पुस्तकों के माध्यम से आपके द्वारा प्रदर्शित उत्कृष्ट कार्यों के लिए ‘विश्व हिंदी सम्मान’ से नवाजा गया।
  • डॉ. राम प्रसाद परसराम,त्रिनिदाद और टोबैगो : डॉ. राम प्रसाद परसराम हिंदू परंपरा के पोषक, प्रचारक एवं संरक्षक हैं। आपने धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यों के माध्यम से हिंदी के प्रयोग की वकालत की और ‘रामचरित मानस’ के अध्ययन-अध्यापन के माध्यम से छात्रों को हिंदी शब्दावली और उसके प्रयोग के लिए प्रोत्साहित किया है। आपके हिंदी विचार, उच्चायोग द्वारा प्रकाशित यात्रा पत्रिका के हिंदी खंड में प्रकाशित हुए हैं। आपको भारतीय उच्च आयोग पोर्ट ऑफ स्पेन द्वारा विशिष्ट हिंदी सेवा सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। हिंदी की सेवा में आपके उत्कृष्ट कार्यों के लिए ‘विश्व हिंदी सम्मान’ से सम्मानित किया गया।
  • डॉ. इनेस फार्नेल, जर्मनी : डॉ. इनेस फार्नेल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी एवं तिब्बतिन स्टडीज, यूनिवर्सिटी ऑफ गोटिंगन जर्मनी में २००३ से हिंदी तथा आधुनिक भारत विषय में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं, आपने भीष्म साहनी के उपन्यासों में सामाजिक परिवेश तथा यथार्थवादी पद्धति पर शोध पत्र लिखने के साथ-साथ मनु भंडारी और ऊषा प्रियवंदा द्वारा लिखित लघु कथाओं पर भी शोध किया है तथा जर्मन के विभिन्न पत्र और पत्रिकाओं में हिंदी से संबंधित लेख भी प्रकाशित किए हैं। हिंदी की सेवा में आपके उत्कृष्ट कार्यों के लिए ‘विश्व हिंदी सम्मान’ से सम्मानित किया गया।
  • डॉ. अन्ना चेल्नो कोवा, रूस : केंद्रीय हिंदी संस्थान, दिल्ली से हिंदी में उच्च दक्षता डिप्लोमा प्राप्त डॉ. अन्ना चेल्नो कोवा रूप के सेंट पीटर्सवर्ग राजकीय विश्वविद्यालय में भारतीय भाषा विभाग में सह प्राध्यापिका के रूप में कार्यरत हैं, आपके शोध का विषय ‘आधुनिक भारत में रामायण’ है। आपने रूसी, अंग्रेजी और हिंदी भाषा में ३० से अधिक वैज्ञानिक लेख लिखे हैं, आपने हिंदी भाषा, व्याकरण, आधुनिकतावाद एवं भारतीय साहित्य और भारतीय शिष्टाचार पर व्याख्यान दिए हैं। हिंदी जगत में आपके उत्कृष्ट योगदान के लिए ‘विश्व हिंदी सम्मान’ से सम्मानित किया गया।
  • डॉ. गलीना रूसोवा सोकोलोवा, बुल्गारिया : डॉ. गलीना रूसोवा सोकोलोवा का जन्म १२ जनवरी १९६५ को पीटर्सवर्ग, रूस में हुआ था। आपने सोफिया विश्वविद्यालय से भारतीय भाषा में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की है। आप मध्यकालीन भारतीय साहित्य, हिंदी स्वर विज्ञान, हिंदुत्व और इस्लाम की प्रस्तावना पर अध्यापन किया है। आपने कबीर के दोहे, सरू दास के सरू-सागर और नंददास के भ्रमर गीत का हिंदी से बुलगेरियन भाषा में अनुवाद किया है। आपको भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् द्वारा उत्कृष्ट अध्येता का पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है। हिंदी की सेवा में आपको उत्कृष्ट कार्यों के लिए ‘विश्व हिंदी सम्मान’ से सम्मानित किया गया।
  • डॉ. उदय नारायण गंगू, मॉरीशस : डॉ. उदय नारायण गंगू का जन्म २० जनवरी, १९४३ को मॉरिशस में हुआ, आपने लंदन विश्वविद्यालय से अंगे्रजी और संस्कृत तथा कैंब्रीज विश्वविद्यालय से हिंदी, हिंदुत्व और संस्कृतिक,रामायण, वेद और आर्य समाज से संबंधित कई सम्मेलनों में भाग लिया है। आपने हिंदी में लगभग १५ पुस्तकें प्रकाशित की हैं, आपको भारत की ओर से वर्ष २००३ में आर्य रत्न का पुरस्कार तथा हिंदी वाचन संघ से हिंदी रत्न का पुरस्कार दिया गया है। हिंदी की सेवा में आपके उत्कृष्ट कार्यों के लिए ‘विश्व हिंदी सम्मान’ से सम्मानित किया गया।
  • श्री हनुमान दूबे गिरधारी, मॉरीशस : श्री हनुमान दूबे गिरधारी का जन्म ६ अक्टूबर १९३३ को हुआ था। आप मॉरीशस में वयोवृद्ध अध्यापक हैं। भारतीय विद्या भवन के प्रयासों को ही नतीजा है कि आज मुम्बई में लगभग १००० विद्यार्थी संस्कृत का अध्ययन कर रहे हैं। आप वर्ष १९६५ से हिंदी प्रचारिणी सभा के सदस्य के रूप में अपनी मातृभाषा हिंदी का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। हिंदी की सेवा में आपके उत्कृष्ट कार्यों के लिए ‘विश्व हिंदी सम्मान’ से सम्मानित किया गया।
  • श्री केसन बधू, मॉरीशस : आप मॉरीशस ब्रोडकास्टिंग कॉरपोरेशन के न्यूज प्रभाग के कार्यकारी निदेशक हैं, आपने रामायण का फ्रांसिसी भाषा में तथा अभिमन्यु अनत की प्रसिद्ध पुस्तक ‘लाल पसीना’ और उनके एकमान्य उपन्यास ‘एक बीघा प्यार’ का फ्रांसिसी भाषा में अनुवाद किया है। आप मॉरीशस के कई विद्यालयों के पाठयत्र्कम में शामिल हिंदी पाठ्यपुस्तक ‘नवीनतम हिंदी पथ प्रदर्शिका’ लेखक भी हैं। हिंदी की सेवा में आपके उत्कृष्ट कार्यों के लिए ‘विश्व हिंदी सम्मान’ से सम्मानित किया गया।
  • सुश्री उनगूली, दक्षिण कोरिया : सुश्री उनगूली का जन्म १६ जून,१९६२ को हुआ था। आप हूँकूक विदेश अध्ययन विश्वविद्यालय के हिंदी एवं भारतीय अध्ययन विभाग में प्रोफेसर हैं। आपने दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी स्नातकोत्तर तथा आगरा विश्वविद्यालय से विद्यावाचस्पति की उपाधि अर्जित की है। आपने ‘एन इंट्रोडक्शन टू इंडियन स्टडीज’, ‘एन इंट्रोडक्शन टू हिंदूइज्म और एन इंट्रोडक्शन टू इंडियन कल्चर’ नामक पुस्तकें लिखी हैं। आपने भारतीय साहित्य, मुंशी प्रेमचंद की चुनिंदा लघुकथाओं और निर्मला का अनुवाद किया है। हिंदी की सेवा में आपके उत्कृष्ट कार्यों के लिए विश्व हिंदी सम्मान से सम्मानित किया गया।
  • श्री गोपाल ठाकुर, नेपाल : श्री गोपाल ठाकुर ने त्रिभुवन विश्वविद्यालय, काठमांडू से भाषा विज्ञान में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की है। आपने रेडियो नेपाल में १३ वर्षों तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आप नेपाल से निकलने वाली हिंदी पत्रिकाओं ‘हिमालिनी’ व ‘द पब्लिक’ के लिए हिंदी में लेख लिखते रहे हैं। आपने कई हिंदी गीतों की रचना की है। आप नेपाल में हिंदी की मशाल जलाए रखने के लिए समर्पित हैं। हिंदी की सेवा में आपके उत्कृष्ट कार्यों के लिए विश्व हिंदी सम्मान से सम्मानित किया गया।
  • सुश्री सिलेंगामा चानरब, मंगोलिया : सुश्री सिलेंगामा चानरब ने मसूरी, भारत में सनातन धर्म इंटर कॉलेज (हिंदी माध्यम विद्यालय) से शिक्षा ग्रहण की तथा उलानबटोर, मंगोलिया से भाषा व साहित्य में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की है। आप मंगोलिया स्थित भारतीय दूतावास द्वारा संचालित भारतीय सांस्कृतिक केंद्र, मंगोलिया में हिंदी भाषा के अध्यापक के रूप में कार्यरत हैं। आप बच्चों को भारतीय शिक्षा प्रदान करती हैं। हिंदी की सेवा में आपके उत्कृष्ट कार्यों के लिए ‘विश्व हिंदी सम्मान’ से सम्मानित किया गया।
  • श्री नेमानी बैनीवालू, फिजी : श्री नेमानी बैनीवालू हिंदी भाषा के विद्वान हैं, आपने हिंदी के विद्वान, प्रसारणकर्ता, मीडिया व्यक्तित्व, अनुवादक और हिंदी प्रेमी समाज सेवक के रूप में भाषाओं और समुदायों की जोड़ने का अद्वितीय काम किया है। आप एक प्रसारक के रूप में कई वर्षों तक फिजी ब्रोडकास्टिंग कॉर्पोरेशन के टी.वी. चैनलों में हिंदी के कार्यक्रम प्रस्तुत करते रहे हैं। आपने वर्ष २०१६ में अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मेलन के अवसर पर राम कथा का ई-ताऊकेई भाषा में अनुवाद करने के साथ-साथ ‘टीयर्स इन पाराडाइज’ का अनुवाद भी किया है। आपने वर्ष २००० में फिजी में संक्रमण काल के दौरान सौंपे गए विश्वास और सद्भावना स्थापित करने का कार्य बखूबी संपन्न किया है। हिंदी की सेवा में आपके उत्कृष्ट कार्यों के लिए विश्व हिंदी सम्मान से सम्मानित किया गया।
  • श्री ब्रेसिल नगोडा विथान, श्रीलंका : श्री ब्रेसिल नगोडा विथान, श्रीलंका में स्थित सबरागामुवा विश्वविद्यालय में हिंदी के प्राध्यापक हैं। आपने सितंबर २००६ से हिंदी के व्याख्याता, शिक्षक और परीक्षक के रूप में हिंदी भाषा की सेवा की है। आपने ‘डि विपीडुमा’ नामक पुस्तक में हिंदी की लघु कहानियों का सिंहली भाषा में अनुवाद किया है और हिंदी में कई लघु कहानियाँ तथा उपन्यास लिखे हैं। आपने हिंदी कवि नागार्जुन पर शोध कार्य किया है और आपके द्वारा प्रकाशित पुस्तकों में ‘उम्मीद व तकदीर’ नामक उपन्यास ‘व्यावहारिक हिंदी अभ्यास पुस्तिका’, ‘नागार्जुन’, ‘श्रीलंका में विदेशी भाषा के रूप में हिंदी और हिंदी का अतीत, वर्तमान और भविष्य’ इत्यादि शामिल हैं। हिंदी की सेवा में आपके उत्कृष्ट कार्यों के लिए विश्व हिंदी सम्मान से सम्मानित किया गया।
  • श्रीमती सुनीता नारायण, न्यूजीलैंड : श्रीमती सुनीता नारायण, न्यूजीलैंड में बच्चों को हिंदी पढ़ाने के लिए सुविधाएँ विकसित करने हेतु लंबे समय तक पूर्ण निष्ठा एवं प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है, आपने न्यूजीलैंड में वैलिंगटन हिंदी स्कूल की स्थापना एवं विकास में अग्रणी भूमिका निभाई है। आप नियमित रूप से हिंदी में पुस्तकों एवं पत्रिकाओं का प्रकाशन भी करती रही हैं। आपने भारतीय संस्कृति के संवर्धन में भी गहन रूचि ली है, आपने न्यूजीलैंड हिंदी शिक्षण के लिए अनुवूâल परिवेश तैयार किया है, हिंदी की सेवा में आपके उत्कृष्ट कार्यों के लिए आपको ‘विश्व हिंदी सम्मान’ से सम्मानित किया गया। अपरिहार्य कारणों से निम्नलिखित हिंदी-सेवी समारोह में उपस्थित नहीं हो सकीं, आपको बाद में सम्मानित किए जाने का निर्णय लिया गया।
  • प्रो. अलीसन बुच, संयुक्त राज्य अमेरिका : प्रो. अलीसन बुच न्यूयोर्क  के प्रतिष्ठित कोलंबिया विश्वविद्यालय में हिंदी और भारतीय साहित्य के एसोसिएट प्रोफेसर हैं। आप पिछले २० वर्षों से हिंदी का अध्यापन कर रही हैं। आपकी पुस्तक ‘पोएट्री ऑफ किंग्स ’ में प्राचीन मुगल और राजपूत साहित्य के बारे में हिंदी अध्ययन को एक नए रूप में प्रस्तुत किया गया है। आप स्नातक स्तर के विद्यार्थियों के लिए हिंदी साहित्य की कक्षा भी आयोजित करती हैं।

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