देश में प्रमुख फसलों के उत्पादन में महिलाओं की भागीदारी ७५ फीसदी

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केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधामोहन सिंह ने एनएएससी कॉम्प्लेक्स, नई दिल्ली में महिला किसान दिवस समारोह में उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए १५ अक्टूबर को कहा कि कृषि क्षेत्र के विकास में महिलाओं का अहम योगदान है। आर्थिक रूप से सक्रिय ८० प्रतिशत महिलाएं कृषि क्षेत्र में कार्यरत हैं, इनमें से लगभग ३३ प्रतिशत मजदूरों के तौर पर और ४८ प्रतिशत स्व-नियोजित किसानों के तौर पर कार्य कर रही हैं।एनएसएसओ की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लगभग १८ प्रतिशत खेतिहर परिवारों का नेतृत्व महिलाएं ही करती हैं। कृषि कार्यों के साथ-साथ महिलाएं बागवानी, मछली पालन, कृषि वानिकी, पशुपालन और मधुमक्खी पालन जैसे कार्यों में भी बखूबी अपना योगदान दे रही हैं।भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से नौ राज्यों में किये गये एक अनुसंधान से पता चला है कि प्रमुख फसलों के उत्पादन में महिलाओं की भागीदारी ७५ फीसदी तक रही है, बागवानी में यह आंकड़ा ७९ प्रतिशत और फसल कटाई के बाद के कार्यों में ५१ फीसदी तक भागीदारी ग्रामीण महिलाओं की है, इसके अलावा, पशुपालन और मछली उत्पादन में यह आंकड़ा ९५ प्रतिशत तक है।

कृषि मंत्री ने बताया कि महिलाओं को कृषि की मुख्यधारा में लाने के उद्देश्य से सरकार द्वारा विभिन्न स्कीमों में महिलाओं के लिए बजट संबंधी वचनबद्धता को सुनिश्चित करने हेतु विभिन्न प्रमुख योजनाओं/ कार्यक्रमों और विकास संबंधी गतिविधियों के अंतर्गत महिलाओं के लिए ३०³ से अधिक धनराशि का आवंटन किया गया।उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय कृषि महिला संसाधन केंद्र द्वारा पुरुष कार्यक्रम संचालकों की मानसिकता और व्यवहार में बदलाव लाने के लिए एक महिला संवेदनशील मॉड्यूल भी विकसित किया गया है। वर्ष २०१७-१८ के दौरान २२२ कार्यक्रमों के माध्यम से कुल ५६४५ लोगों को प्रशिक्षित किया गया है, साथ ही ‘आत्मा’ कार्यक्रम के अंतर्गत अब तक ९८.१४ लाख से अधिक महिला किसानों को भी प्रशिक्षित किया जा चुका है।

श्री सिंह ने बताया कि कृषक परिवार की आय वर्ष २०२२ तक दोगुनी करने के लक्ष्य, जो हमारे प्रधानमंत्री जी का सपना है, में भी महिलाओं की भूमिका एवं योगदान को विशेष महत्व दिया गया है, इसे ध्यान में रखते हुए डॉ. दलवई की अध्यक्षता में गठित अंतर-मंत्रालय समिति ने अपनी रिपोर्ट के ग्यारहवें अध्याय में किसानों की आय दोगुनी करने के लिए महिलाओं के सशक्तिकरण पर अलग से एक अध्याय लिखा है, जिसके कार्यान्वयन से महिलाएं अपने परिवार की आय वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दे सकेंगी। कृषि में महिलाओं की अहम भागीदारी को ध्यान में रखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अन्तर्गत केन्द्रीय कृषिरत महिला संस्थान, भुवनेश्वर भी कार्य कर रहा है।

उन्होंने बताया कि सहकारिता के क्षेत्र में सामूहिक क्रिया-कलापों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु राज्यों/राज्य सहकारी संघों के माध्यम से भारत राष्ट्रीय सहकारी संघ द्वारा महिलाओं के नियमित सहकारी शिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं, इसके तहत पिछले दो वर्षों में सहकारिता के क्षेत्र में एन.सी.यू. आई. के अंतर्गत ३८.७८ लाख महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया है, इसी प्रकार कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से ६.०७ लाख महिलाएं व कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से ७ हज़ार महिलाएं लाभान्वित हुई हैं, कुल मिलाकर २०१६-१७ व २०१७- १८ के दौरान कुल ५३.३४ लाख महिलाएं लाभान्वित हुई हैं, उन्होंने बताया कि किसान महिलाओं के खाद्य सुरक्षा समूहों को समर्थन देने के लिए वर्तमान सरकार द्वारा संशोधित आत्मा योजना के तहत घरेलू और सामुदायिक स्तर पर खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु महिलाओं के खाद्य सुरक्षा समूहों को २ समूह/प्रति ब्लॉक की दर से तथा १०,००० रुपये प्रति समूह/प्रति वर्ष की दर से वित्तीय सहायता दी जा रही है।

सम्बोधन के अंत में कृषि मंत्री ने समारोह में सम्मानित महिला कृषकों को बधाई दी और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि महिला कृषक देश को कृषि की द्वितीय हरित क्रान्ति की ओर ले जाने के साथ-साथ देश के विकास का परिदृश्य बदलने में सराहनीय योगदान दे रही हैं, उन्होंने कहा कि सरकार की महिला कल्याण नीतियों और ऐसी विशेष अभिरुचियों के चलते वह दिन दूर नहीं, जब महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर एक सशक्त परिवार का निर्माण करेंगी।

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